दफ्तर नहीं लौटना चाहते 82 फीसदी कर्मचारी, 'वर्क फ्रॉम होम' बना नया चलन- सर्वे
कोरोना वायरस महामारी के दौरान दुनियाभर में करोड़ों लोग अपने घरों में बंद रहे, स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया और ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों को घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) की अनुमति दी गई। अब दो साल बाद वर्क फ्रॉम होम कर्मचारियों की आदत बन गया है और एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 82 फीसदी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम ही करना चाहते हैं।
'वर्क फ्रॉम होम' के कारण नई आदतें लोगों की जिंदगी में जगह बना चुकी हैं
रोजगार संबंधी वेबसाइट साइकी की 'टेक टैलेंट आउटलुक' रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के कारण दो साल में 'वर्क फ्रॉम होम' नया चलन बन गया है और नई आदतें लोगों की जिंदगी में अपनी जगह बना चुकी हैं। साइकी के संस्थापक करूणजीत कुमार धीर ने कहा, "रिमोट वर्क की दुनिया में आपका स्वागत है। यह देखना दिलचस्प है कि कैसे 'फ्यूचर ऑफ वर्क' तेजी से विकसित हो रहा और पारंपरिक HR की दुनिया से आगे निकल रहा है।"
कितने लोगों पर किया गया यह सर्वेक्षण?
टैलेंट टेक आउटलुक में चार महाद्वीपों के 100 से अधिक कार्यकारी अधिकारियों और मानव संसाधन अधिकारियों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया गया है। यह सर्वेक्षण सोशल मीडिया, साक्षात्कार और पैनल चर्चा के जरिये किया गया है।
कंपनियों को दफ्तर आकर काम करने वाले कर्मचारियों को ढूंढने में हो रही मुश्किल
सर्वेक्षण में शामिल 64 फीसदी कर्मचारियों ने बताया कि घर से काम करने पर उनकी उत्पादन क्षमता अधिक रहती है और तनाव भी कम रहता है। इस बीच 80 फीसदी से अधिक मानव संसाधन प्रबंधकों (HR) ने कहा कि पूर्णकालिक रूप से दफ्तर जाकर काम करने वाले कर्मचारी खोजना अब उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। 67 फीसदी से अधिक कंपनियों ने भी कहा कि दफ्तर जाकर काम करने वाले लोग खोजना उनके लिए मुश्किल हो रहा है।
कर्मचारियों के चयन के लिए कंपनियों ने मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन का उपयोग किया कम
सर्वेक्षण में पता चला कि तकनीकी (टेक) कर्मचारी अब घर से काम करने की उम्मीद करते हैं। ऐसी कंपनियां जो वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति को नहीं अपनाएंगी, उन्हें अच्छी प्रतिभा वाले कर्मचारियों को काम पर रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सर्वे के मुताबिक, 2022 में केवल 18 फीसदी तकनीकी HR भर्ती में मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन को शामिल करने की सोच रहे हैं, जो 2019 में 68 प्रतिशत से कम है।