कौन थे अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय, जिन्हें मरणोपरांत पद्म भूषण से किया जाएगा सम्मानित?
क्या है खबर?
भारत के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया जाएगा।
उनका जन्म 25 जनवरी, 1955 को मेघालय के शिलांग में हुआ था। वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और नीति आयोग के सदस्य रह चुके थे।
साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है। संस्कृत और प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उनकी गहरी रुचि ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। वे अपने बहुमुखी योगदान के लिए याद किए जाते हैं।
उपलब्धियां
शिक्षा और करियर में उपलब्धियां
देबरॉय ने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
अपने करियर में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, गोखले इंस्टीट्यूट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में पढ़ाया।
2016 में रेल बजट को केंद्रीय बजट में शामिल करने वाली समिति का नेतृत्व कर उन्होंने ऐतिहासिक योगदान दिया। उनकी विद्वता ने न केवल अर्थशास्त्र बल्कि कानूनी सुधारों और सार्वजनिक नीतियों पर भी गहरा प्रभाव डाला।
निधन
पिछले साल हुआ था निधन
अर्थशास्त्री देबरॉय का निधन 1 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में 69 वर्ष की आयु में हुआ था।
उन्होंने महाभारत, रामायण और पुराणों जैसे संस्कृत ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद किया, जिससे भारतीय संस्कृति को वैश्विक पहचान मिली।
उनकी किताब 'सरमा और उसके बच्चे' ने हिंदू धर्म और कुत्तों के प्रति उनके स्नेह को दर्शाया है। उनकी मृत्यु के बाद भी उनका योगदान भारतीय साहित्य, संस्कृति और अर्थशास्त्र में अद्वितीय बना रहेगा।
जानकारी
मिल चूका है पद्मश्री
साल 2015 में देबरॉय को नीति आयोग का स्थायी सदस्य नियुक्त किया गया था और सार्वजनिक नीति और अर्थशास्त्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।