क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड? निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप कम पैसों से निवेश करना शुरू करना चाहते हैं तो आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश कर सकते हैं। ETF के जरिए निवेशकों का पैसा शेयरों के एक सेट में निवेश किया जाता है, जिसमें इक्विटी, बॉन्ड या गोल्ड जैसे एसेट शामिल होते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड की वजह से इनका कारोबार भी शेयर मार्केट की तरह होता है। अगर आप भी ETF में निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।
क्या है ETF?
एसेट्स के बास्केट को ETF कहते हैं, जिसकी बिक्री और खरीद स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है। ETF का मूल्य शुद्ध संपत्ति मूल्य (NAV) पर निर्भर करता है। NAV की कीमत म्यूचुअल फंड की तरह बाजार बंद होने के बाद निर्धारित की जाती है। देश की मार्केट में मुख्यत: पांच प्रकार के ETFs में निवेश कर सकते हैं, जिसमें गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, सिल्वर ETF और इंटरनेशनल ETF शामिल हैं।
ETFs में कैसे होगा निवेश?
यह निवेश का एक सरल माध्यम है, इसकी खरीद-फरोख्त भी स्टॉक एक्सचेंज से होती है। ETF में निवेश करने के लिए लोगों को ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर और डीमैट खाते से ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। वहीं ETF को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। बता दें कि शेयर मार्केट की तरह पूरे दिन के कारोबार में ETF की कीमतों में भी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है।
निवेश करने से पहले इन बातों पर दें ध्यान
ETF को चुनने समय L4U स्ट्रेटजी पर काम करना चाहिए- लिक्विडिटी के साथ लो एक्सपेंश रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज हो। लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ETF की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए, ताकि खरीद-फरोख्त में आसानी हो। एक्टिव फंड्स की तुलना में ETF के एक्सपेंस रेशियो कम होते हैं, लेकिन फिर भी निवेशकों को विभिन्न ETF के एक्सपेंस रेशियो की तुलना जरूर करनी चाहिए।
इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग और अंडरलाइंग सिक्योरिटी पर दें ध्यान
इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है। अगर लिक्विडिटी अधिक हुई तो इंपैक्ट कॉस्ट कम होगी। जिसकी वजह से इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा। ट्रैकिंग एरर की वजह से इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न के अंतर को स्पष्ट करती है। अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक, 0.2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर करता है।
ध्यान रखने योग्य जरूरी बात
निवेश के दौरान आपके सामने कुछ ऐसे ETFs होंगे, जिनकी बोली अधिक होगी। वहीं ऐसे ETFs को बेचने के दौरान पर्याप्त लिक्विडिटी नहीं मिलती है। अगर आप ETF यूनिटों का बहुत कम हिस्सा खरीदते-बेचते हैं, तो ब्रोकरेज और डीमैट चार्ज ज्यादा बैठ सकता हैं।