फॉक्सवैगन ने टैक्स नोटिस को बताया जिंदगी और मौत का मामला, रद्द करने की मांग
क्या है खबर?
फॉक्सवैगन ने भारतीय अधिकारियों की ओर से टैक्स चोरी के आरोप में लगाए गए जुर्माने के नोटिस को रद्द करने की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इसके तहत आज (17 फरवरी) से हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।
कार निर्माता ने कहा है कि अगर जुर्माना लगाया जाता है तो उसका कुल टैक्स बोझ 2.8 अरब डॉलर (करीब 243 अरब रुपये) तक बढ़ सकता है, जिसे उसने 'जीवन और मृत्यु का मामला' बताया है।
मामला
क्या था मामला?
महाराष्ट्र में सीमा शुल्क आयुक्त के कार्यालय की ओर से फॉक्सवैगन को 1.4 अरब डॉलर (करीब 121 अरब रुपये) के टैक्स का कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
इसमें वाहन निर्माता पर 30-35 फीसदी की कथित लागू दर के बजाय 10-15 फीसदी के कम शुल्क का लाभ उठाने के लिए आयातित कार कंपोनेंट को गलत वर्गीकृत करने का आरोप लगाया गया है।
सीमा शुल्क विभाग का दावा है कि इससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ।
तर्क
कंपनी ने आरोपों के खिलाफ दिया यह तर्क
कंपनी का तर्क है कि उसने मेक्सिको, थाईलैंड और मलेशिया सहित अपने सभी वैश्विक निर्माण केंद्रों में समान वर्गीकरण प्रथा का पालन किया है।
उसने आगे कहा है कि एक अधिकारी द्वारा व्याख्या में अचानक बदलाव एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है।
इसका असर न केवल फॉक्सवैगन बल्कि, भारत में पूरे ऑटोमोबाइल बाजार पर पड़ेगा। कंपनी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह पहला उदाहरण है, जहां उच्च लेवी की मांग की जा रही है।
चेतावनी
कंपनी ने जताई यह चिंता
कार निर्माता ने भारत की व्यापार-अनुकूल छवि पर प्रभाव के बारे में भी चिंता जताते हुए चेतावनी दी है।
उसने कहा कि इस तरह का अप्रत्याशित टैक्स वातावरण देश को हंसी का पात्र बना सकता है और व्यापार करने में आसानी के प्रयासों में बाधा बन सकता है।
बता दें, सीमा शुल्क विभाग से मिले जुर्माने के नोटिस को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई चल रही है।