रुपया के लिए दिसंबर रहा सबसे खराब महीना, पहुंचा रिकॉर्ड निचले स्तर पर
भारतीय रुपया शुक्रवार (27 दिसंबर) को डॉलर के मुकाबले 85.73 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह पहली बार है जब रुपया 85.50 के स्तर को पार कर गया। नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड (NDF) मार्केट में डॉलर की मजबूत मांग के कारण यह लगातार नौवें दिन गिरावट में रहा। इस साल रुपया अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 3 प्रतिशत कमजोर हुआ है और लगातार सातवें साल वार्षिक घाटा दर्ज करने की ओर बढ़ रहा है।
क्या है भविष्य को लेकर अनुमान?
भारतीय रुपया इस महीने तेज गिरावट के साथ 85.73 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। दिसंबर में मुद्रा वायदा अनुबंधों की समाप्ति और डॉलर की बढ़ती मांग ने गिरावट बढ़ाई है। यह रुपया के लिए 2 साल का सबसे खराब महीना हो सकता है। मार्च, 2025 तक नुवामा इंस्टीट्यूशनल ने इसे 86 तक और कोटक सिक्योरिटीज ने 86.50 तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। अन्य बैंकों ने इसे 85-86 के बीच रहने की उम्मीद जताई है।
रुपया बनाम EM मुद्राएं
भारतीय रुपया अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। ब्लूमबर्ग के अनुसार, सितंबर से MSCI EM मुद्रा सूचकांक में 3 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है, लेकिन रुपया सीमित गिरावट पर रहा। अप्रैल 2024 से रुपया केवल 1.2 प्रतिशत कमजोर हुआ, जबकि दक्षिण कोरियाई वॉन और ब्राजीलियाई रियल क्रमशः 2.2 प्रतिशत और 12.7 प्रतिशत गिरे। वित्त वर्ष 2025 में भी रुपये ने G20 देशों की मुद्राओं की तुलना में कम उतार-चढ़ाव दिखाया है।
व्यापार घाटा बढ़ा
नवंबर में व्यापार घाटा बढ़कर 37.8 अरब डॉलर (लगभग 3,200 अरब रुपये) पर पहुंचने से रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। वित्त मंत्रालय ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों को इसके मुख्य कारण बताया है। हालांकि, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 652.9 अरब डॉलर (लगभग 55,900 अरब रुपये) है, जो 11 महीने का आयात कवर करने में सक्षम है। रुपये की गिरावट फार्मा कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकती है क्योंकि वे निर्यात से कमाई करती हैं।