महंगी हो सकती है हवाई यात्रा, स्पाइस जेट की किराये में 15 प्रतिशत इजाफे की मांग
हवाई यात्रा करने वाले लोगों की जेब पर जल्द भार बढ़ने वाला है। दरअसल, ईंधन की कीमत और दूसरी लागतों के चलते जल्द ही हवाई टिकटों के दाम बढ़ने वाले हैं। गुरुवार को स्पाइसजेट ने कहा कि मौजूदा किराया पर्याप्त नहीं है और इसमें कम से कम 10-15 प्रतिशत का इजाफा होना चाहिए। इसके बाद कंपनी के शेयरों में 3.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। कई अन्य जानकार भी मान रहे हैं कि हवाई यात्रा महंगी होने वाली है।
किराया बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं- सिंह
स्पाइसजेट के प्रबंधक निदेशक अजय सिंह ने गुरुवार को कहा हवाई ईंधन की कीमतों में तेज इजाफे और रुपये की गिरती कीमत के चलते घरेलू एयरलाइन कंपनियों के पास किराया बढ़ाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि संचालन की लागत निकालने के लिए किराये में कम से 10-15 प्रतिशत इजाफे की जरूरत है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से भी ईंधन पर टैक्स कम करने की मांग की है।
क्या है हवाई ईंधन की कीमत?
गुरुवार को तेल कंपनियों को एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों में 16.3 प्रतिशत बढ़ोतरी की थी। इसके बाद दिल्ली में एक लीटर ATF की कीमत 141 रुपये प्रति लीटर हो गई है। ईंधन की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा और दूसरी तरफ रुपये की गिरती कीमत ने एयरलाइन कंपनियों पर दबाव बढ़ा दिया है और अब इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा। माना जा रहा है कि हवाई किराये में 15 प्रतिशत इजाफा हो सकता है।
कंपनियों की लागत में 50 प्रतिशत हिस्सा ईंधन का
एयरलाइन की कुल लागत में करीब 50 प्रतिशत हिस्सा ईंधन की कीमतों का होता है। इसका मतलब साफ तौर पर यह है कि ईंधन महंगा होने से किराया महंगा होगा। भारत में पहले ही अधिक लागत और कम किराये के चलते कंपनियां भारी दबाव में हैं। दूसरी तरफ लगातार कमजोर होता रुपया भी कंपनियों के खर्चे बढ़ा रहा है क्योंकि एयरलाइन कंपनियों को लीज, विदेश हवाई अड्डों के किराये आदि सब का भुगतान डॉलर में करना होता है।
राहत की मांग कर रहीं कंपनियां
एयरलाइन कंपनियों ने ईंधन की बढ़ती कीमतों से राहत पाने के लिए सरकार से टैक्स में छूट देने या ATF को वस्तु और सेवा कर (GST) के तहत लाने की मांग की थी ताकि ईंधन की लागत कम हो सके। फिलहाल सरकार का ATF को GST के तहत लाने का कोई विचार नहीं है, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से ATF पर एक्साइज ड्यूटी को 9 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत करने की मांग की है।
ग्राहकों की जेब पर इसका क्या असर होगा?
बढ़ती लागत का बोझ कंपनियां अब ग्राहकों की जेबों पर डालेगी और उन्हें हवाई यात्रा के लिए अब ज्यादा पैसा चुकाना पड़ेगा। इस उद्योग पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि किराये में कम से कम 15 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। हालांकि, बहुत कुछ कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा पर निर्भर करेगा। महंगे किराये का असर मांग पर भी पड़ सकता है और लोग यात्रा के लिए सस्ते विकल्पों की तरफ भी रूख कर सकते हैं।