भारतीय कर्मचारियों में 86 प्रतिशत पीड़ित और संघर्षरत, रिपोर्ट में खुलासा
भारतीय कर्मचारियों की स्थिति कई मायनों में अच्छी नहीं है। यह खुलासा गैलप 2024 की वैश्विक कार्यस्थल की स्थिति की रिपोर्ट में हुआ। अमेरिकी एनालिटिक्स कंपनी के मुताबिक, भारत में कुल कर्मचारियों में 86 प्रतिशत कर्मचारी खुद को संघर्षरत या पीड़ित मानते हैं। सिर्फ 14 प्रतिशत भारतीय ऐसे हैं, जो खुद को समृद्ध पाते हैं। यह आंकड़ा भी वैश्विक औसत 34 प्रतिशत से काफी कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया के कर्मचारियों की स्थिति अधिक बुरी है।
दक्षिण एशिया में केवल 15 प्रतिशत कर्मचारी सफल
रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशियाई देशों में सफल कर्मचारियों का प्रतिशत काफी कम है, जहां 15 प्रतिशत ने खुद को सफल बताया है। हालांकि, यह भी वैश्विक औसत से कम है। अगर नेपाल की बात करें तो वहां संतुष्ट कर्मचारियों का औसत 22 प्रतिशत है, जो भारत से काफी ज्यादा है। इसके बाद भी भारत में कर्मचारियों की भागीदारी काफी अधिक है। यहां कर्मचारियों की भागीदारी 32 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 23 प्रतिशत से काफी अधिक है।
कैसे हुआ सर्वेक्षण?
गैलप की यह रिपोर्ट दुनिया भर में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण का मूल्यांकन करती है। इसमें शामिल लोगों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था, जिसमें संपन्न, संघर्षशील और पीड़ित शामिल थे। सर्वेक्षण में 7 से अधिक रेटिंग करने वालों को संपन्न, 4 से 7 रेटिंग करने वालों को संघर्षशील और 4 से कम वालों को पीड़ित वर्ग में रखा गया है। संघर्षशील और पीड़ित कर्मचारियों में भोजन, आश्रय, तनाव, चिंता, बीमारी और क्रोध की संभावना है।