ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चीनी कंपनी वीवो के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
क्या है खबर?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो के खिलाफ अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। मामले की जानकारी रखने वाले आधिकारिक सूत्रों ने PTI को ये जानकारी दी है।
सूत्रों के अनुसार, धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत बुधवार को विशेष कोर्ट के सामने ये चार्जशीट दाखिल की गई और इसमें गिरफ्तार आरोपियों के साथ-साथ वीवो को आरोपी बनाया गया है।
आरोप
वीवो पर क्या आरोप हैं?
ED का आरोप है कि भारत में टैक्स देने से बचने के लिए वीवो ने अवैध रूप से 62,476 करोड़ रुपये की बड़ी रकम चीन भेजी थी। उनसे 2014 से 2020 के बीच जीरो कमाई दिखाकर कोई टैक्स नहीं दिया।
इसके अलावा वीवो पर भारत के नियमों का उल्लंघन करते हुए 2014 में देश में प्रवेश के बाद देशभर में 19 अन्य कंपनियां स्थापित करने का भी आरोप है।
ED के अनुसार, वीवो ने इन कंपनियों का मालिकाना हक छिपाया।
कार्रवाई
अन्य कंपनियों के जरिए पूरी सप्लाई चैन पर था वीवो का नियंत्रित
ED का आरोप है कि वीवो ने चीनी नागरिकों को इन कंपनियों का मालिक बना रखा था और इनके जरिए भारत में वीवो फोन की पूरी सप्लाई चैन पर उसका नियंत्रित था।
ED के अनुसार, आरोपियों ने छिपकर और कपटपूर्ण तरीके से देश में एक विस्तृत चीन-नियंत्रित नेटवर्क बनाकर भारत सरकार को धोखा दिया।
ED का कहना है कि इन 19 कंपनियों पर अपना नियंत्रण छिपाने के लिए वीवो ने बाहरी 'ट्रेडिग कंपनियों' को एक लाख करोड़ रुपये भेजे।
कार्रवाई
ED ने अब तक क्या-क्या कार्रवाई की है?
2022 में अपनी जांच शुरू करने के बाद जुलाई, 2022 में ED ने वीवो इंडिया और उसके सहयोगियों पर छापा मारा था और एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट के पर्दाफाश का दावा किया था।
इसके बाद इस साल अक्टूबर में ED ने मामले में लावा इंटरनेशनल के प्रबंधक निदेशक (MD) हरिओम राय, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग, राजन मलिक और चीनी नागरिक गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग को गिरफ्तार किया था।
आरोप
गिरफ्तार अधिकारियों पर क्या आरोप हैं?
इन चारों पर आरोप है कि उन्होंने भारत के बाहर बड़े पैमाने पर पैसा भेजकर वीवो को गलत तरीके से लाभ कमाने में मदद की, जो भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए हानिकारक है।
लावा के MD राय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कि एक दशक पहले उनकी कंपनी और वीवो इंडिया के बीच एक संयुक्त उद्यम पर बात हुई थी, लेकिन 2014 से उनका वीवो से कोई संबंध नहीं है और उन्होंने उससे कोई लेन-देन नहीं किया।