वीवो से संबंधित मामले में ED ने चीनी नागरिक और लावा के MD को गिरफ्तार किया
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को चीनी मोबाइल कंपनी वीवो और उसके सहयोगियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) मामले में बड़ी कार्रवाई की। खबर है कि जांच एजेंसी ने मोबाइल कंपनी से जुड़े PMLA मामले में एक चीनी नागरिक समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ED द्वारा गिरफ्तार किए आरोपियों में चीनी नागरिक गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग, लावा इंटरनेशनल के प्रबंधक निदेशक (MD) हरिओम राय, राजन मलिक और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग शामिल हैं।
ED ने पिछले साल जुलाई में हुई छापेमारी के बाद की कार्रवाई
ED ने वीवो कंपनी के खिलाफ एक साल बाद कार्रवाई की है। पिछले साल जुलाई में उसने वीवो कंपनी और उसकी 23 सहयोगी कंपनियों जैसे ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL) से संबंधित 48 स्थानों पर छापा मारा था। ED के अनुसार, वीवो का 1 अगस्त, 2014 को भारत में पंजीकरण हुआ था, जिसके बाद उसने 3 दिसंबर, 2014 को अपनी सहायक कंपनी GPICPL की स्थापना की। इस कंपनी की स्थापना में कई वित्तीय अनियमितताएं मिली थीं।
ED ने वीवो पर क्या आरोप लगाए हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ED ने जांच में पाया कि वीवो कंपनी ने अपनी सहायक कंपनी GPICPL और उसके शेयरधारकों के पंजीकरण के समय जाली पहचान दस्तावेजों और गलत पते का इस्तेमाल किया था। ED ने आरोप लगाया कि वीवो ने कथित तौर पर भारत में टैक्स भुगतान से बचने के साधन के रूप में अवैध तरीकों से 62,476 करोड़ रुपये की बड़ी रकम चीन भेजी थी। GPICPL कंपनी से जुड़े 2 चीनी शेयरधारक देश छोड़कर भाग चुके हैं।
दिल्ली पुलिस की FIR पर दर्ज हुआ था केस
मामले में दिल्ली पुलिस ने धारा 417, 120B और 420 के तहत कालकाजी पुलिस स्टेशन में वीवो मोबाइल की सहायक कंपनी GPICPL, उसके निदेशक, शेयरधारकों और प्रमाणित पेशेवरों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मामले में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा दायर शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ केस में धारा 420 भी बढ़ाई गई थी। इस FIR के आधार पर ED ने 3 फरवरी, 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज मामले में अपनी जांच शुरू की थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
जून, 2020 में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत के बाद भारत सरकार की जांच एजेंसियों ने देश में चीनी कंपनियों के खिलाफ अपनी जांच शुरू की थी। इसके अलावा भारत ने टिक-टॉक समेत 200 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध भी लगाया था। जब टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा था, तब ये हजारों करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा था। भारत ने कहा था कि इन ऐप्स के जरिए चीन जासूसी कर रहा था।