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    अगर ट्यूबलेस टायर लगवाने पर कर रहे विचार तो यहां से जानें उनके फायदे और नुकसान

    अगर ट्यूबलेस टायर लगवाने पर कर रहे विचार तो यहां से जानें उनके फायदे और नुकसान
    लेखन मोना दीक्षित
    Aug 19, 2020, 07:30 pm 1 मिनट में पढ़ें
    अगर ट्यूबलेस टायर लगवाने पर कर रहे विचार तो यहां से जानें उनके फायदे और नुकसान

    कार, बाइक या स्कूटर सभी वाहनों में टायर एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसलिए इनकी देखभाल करना जरूरी है। टायर्स के पुराने हो जाने पर उन में पंक्चर होने की समस्या अधिक आने लगती है। इससे दुर्घटना होने का डर रहता है। इस समस्या को दूर करने के लिए लोग उन्हें बदलवाने का सोचते हैं। साथ ही ट्यूबलेस टायर लगवाने पर विचार करते हैं। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो यहां से उसके फायदे और नुकसान जान लें।

    माइलेज और परफॉर्मेंस पर पड़ता है अच्छा असर

    ट्यूबलेस टायर लगवाने से वाहन के माइलेज और परफॉर्मंस पर काफी अच्छा असर पड़ता है। अगर आप अपने वाहन का माइलेज बढ़ाना चाहते हैं तो आपको उसमें ट्यूबलेस टायर लगवाने चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ट्यूब वाले टायर के मुकाबले ट्यूबलेस टायर का वजन कम होता है। इससे वाहन का माइलेज बढ़ता है। इसके साथ ही ट्यूबलेस टायर जल्दी गर्म नहीं होते, जिससे वाहन की परफॉर्मेंस में सुधार होता है।

    आम टायर की मुकाबले होते हैं ज्यादा सुरक्षित

    ट्यूब वाले टायर के मुकाबले ट्यूबलेस टायर अधिक सुरक्षित होते हैं। इन पर आप अधिक भरोसा कर सकते हैं क्योंकि जब इनमें कोई नुकीली चीज घुसती है तो हवा एकदम से बाहर नहीं निकलती है। इसकी जगह हवा धीरे-धारे से बाहर निकलती है, जिससे वाहन का बैलेंस बना रहता है और आपको साइड में वाहन रोकने का समय मिल जाता है। इससे आप सुरक्षित रहते हैं और दुर्घटना होने का कम डर होता है।

    पंक्चर ठीक कराने में नहीं होती कोई परेशानी

    ट्यूब वाले टायरों के मुकाबले ट्यूबलेस टायर में पंक्चर ठीक कराना आसान है। इनमें पंक्चर वाली जगह पर स्ट्रिप लगाकर रबर सीमेंट की मदद से उस जगह को भर दिया जाता है। वहीं आमतौर पर ट्यूब वाले टायर में पंक्चर ठीक करने के लिए उसे बाहर निकलना पड़ता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है, जबकि पंक्चर होने पर ट्यूबलेस टायर को आसानी से कम समय में ठीक किया जा सकता है।

    साइडवॉल पंक्चर होने से बदलना ही पड़ता है टायर

    जहां एक तरफ ट्यूबलेस टायर्स के कई फायदे हैं। वहीं दूसरी तरफ इसके कई नुकसान भी हैं। टायर की साइडवॉल पर होने वाला पंक्चर काफी खतरनाक होता है। अगर वाहन में ट्यूब वाले टायर लगे होते हैं तो ऐसी परिस्थिति में उसमें ट्यूब बदलने का ऑप्शन होता है। वहीं ट्यूबलेस टायर में अगर साइडवॉल पर पंक्चर होता है तो उसे ठीक कराने का ऑप्शन नहीं होता है। ऐसी परिस्थिति में ट्यूबलेस टायर को बदलना ही पड़ता है।

    फिट करना है मुश्किल

    ट्यूब वाले टायर को फिट करना जितना आसान है। ट्यूबलेस टायर को फिट करना उतना ही मुश्किल है। हर कोई इसे फिट नहीं कर सकता है। यहां तक कि कई बार मैकेनिक को भी इसे फिट करने में समस्या आती है। एक अच्छा मैकेनिक ही इसे सही तरह से फिट कर सकता है। इसलिए यह इसका नुकसान है। हर जगह इसके मैकेनिक नहीं मिलते, जबकि ट्यूब वाले टायर को हर मैकेनिक आसानी से फिट कर देता है।

    कीमत है ज्यादा

    ट्यूबलेस टायर महंगे होते हैं। अगर हम इनकी तुलना आम टायर से करेंगे तो ये उनसे अधिक महंगे होते हैं। यही कारण है कि हर कोई ट्यूबलेस टायर्स लगवाने की नहीं सोचता है। हालांकि, इसके कई फायदे इसे बाकियों से बेहतर बनाते हैं।

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