कार की देखभाल करने के लिए इन भ्रमों पर न करें भरोसा, यहां से जानें सच
क्या है खबर?
अपनी कार को सालों साल अच्छी कंडीशन में रखने के लिए आप उसकी बहुत देखभाल करते हैं। इसके लिए आप एक ऑटो एक्सपर्ट की सलाह भी लेते हैं।
लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि कार की देखभाल से जुड़े कई ऐसे भ्रम हैं, जो बिल्कुल गलत हैं।
आप कई ऐसे भ्रमों को सच मानकर अपनी कार की देखभाल करते हैं, जो उसके लिए हानिकारक हो सकते हैं।
आइए यहां से ऐसे ही कुछ भ्रमों के बारे में जानें।
भ्रम
वैक्स से हट जाते हैं स्क्रैच
कार को मेंटेन करने के लिए काफी भ्रम हैं। कई लोगों को लगता है कि कार पर आए छोटे-मोटे स्क्रैच को मोम यानी वैक्स से हटाया सकता है, लेकिन ऐसा मानना बिल्कुल गलत है। यह एक भ्रम है।
स्क्रैच को केवल पेंट फिनिश से ही हटाया जा सकता है। हालांकि, वैक्स से थोड़े समय के लिए इसे कम किया जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए स्क्रैच से छुटकारा पाने का समाधान यह नहीं हैं।
भ्रम
डिटर्जेंट से साफ होती है कार
कार डिटर्जेंट से धोने पर वह साफ हो जाती है, यह भी एक भ्रम है।
डिश क्लीनिंग सॉल्यूशंस और कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट से आप कार के साथ-साथ उसके पेंट को भी साफ कर देते हैं। इसके बाद वैक्स आदि का इस्तेमाल करते हैं।
डिटर्जेंट से धुलने पर एक बार तो कार चमकदार और साफ दिखाई दे सकती है, लेकिन इससे ऑक्सीकरण प्रक्रिया बढ़ती है और आपकी कार के पेंट की लाइफ कम हो जाती है।
भ्रम
वैक्स का एक से ज्यादा कोट अच्छा है
कार के लिए माने जाने वाली यह बात भी भ्रम है कि कार में एक से अधिक वैक्स के कोट लगाने से चमक बढ़ती है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कार पर वैक्स के एक से ज्यादा कोट की कोई जरूरत नहीं होती है।
बहुत अधिक वैक्स साफ और चमक के बजाय कार को डल लुक दे सकती है। अगर आप कार पर वैक्स लगा रहे हैं तो उसे एक साफ कपड़े से साफ जरूर करें।
भ्रम
डीलर का सर्विस सेंटर है सबसे अच्छा
कार को लेकर कई भ्रमों में से यह भी एक बड़ा भ्रम है कि आपने जहां से कार खरीदी है, उसी डीलर का सर्विस सेंटर सबसे अच्छा है।
बस एक बात का ध्यान रखें कि आपकी वारंटी तब तक मान्य रहेगी, जब तक कार ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर पर ले जाएंगे।
हम आपको सुझाव देंगे कि दो-तीन अलग-अलग सर्विस सेंटर्स पर जाएं और आपको जहां कि सर्विस अच्छी लगे वहीं कार की सर्विस कराएं।
भ्रम
ठंडे इंजन को गर्म करना है जरूरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले की कारों में कार्बोरेटर लगा होता था।
इसलिए उसे चलाने से पहले कुछ देर तक गर्म किया जाता था, क्योंकि कार में लगी मैनुअल चॉक केबल को खींचकर उसे स्टार्ट किया जाता था। कार के इंजन को गर्म करने से वह स्मूद स्टार्ट होती थी।
आजकल की कारें कूल्ड टेंपरेचर इंजन के साथ आती हैं। इसलिए ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
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इंजन ऑयल के साथ कूलेंट बदलना है जरूरी
इंजन ऑयल के साथ कूलेंट को बदलना भी जरूरी है, यह भी एक बड़ा भ्रम है। कूलेंट का इंजल ऑयल से कोई मतलब नहीं होता है।
अगर आपका मैकेनिक आपको बताता है कि वह इंजन के ऑयल के साथ-साथ कूलेंट को भी बदल रहा है तो उसे मना कर दें।
जब तक यह बेहद गर्म न हो या टैंक में रिसाव न हो तब तक कूलेंट को बदलवाना नहीं चाहिए।