
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच चल रही जंग पर बिना शर्त लगा विराम, मलेशिया आया आगे
क्या है खबर?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पिछले 4 दिन से चल रही जंग सोमवार को थम गई। दोनों देश बिना किसी शर्त के युद्ध विराम पर राजी हुए हैं। युद्ध विराम मलेशिया की मध्यस्थता की पेशकश के बाद हुआ। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा कि थाईलैंड-कंबोडिया सीमा संघर्ष को समाप्त करने के लिए तत्काल और बिना शर्त सहमत हो गए हैं। मध्यस्थता वार्ता में कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट और थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचा शामिल हुए थे।
युद्ध विराम
थाईलैंड ने पहले ठुकरा दी थी मध्यस्थता
मध्यस्थता बैठक मलेशिया के पुत्राजया में इब्राहिम के निवास पर हुई थी, जिसमें चीनी और अमेरिका के राजदूत भी शामिल थे। पहले थाईलैंड ने मलेशिया के मध्यस्थता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर धमकी दी तो थाई नेता मान गए। ट्रंप ने दोनों देशों के नेताओं से कहा था कि अगर लड़ाई बंद नहीं होगी, तब तक उनके साथ व्यापार समझौते को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
जंग
शांति वार्ता जारी रहने तक दागे गए गोले
दोनों देशों के बीच गोलीबारी और रॉकेट हमलों में 33 लोग मारे गए हैं, जबकि 1 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। थाईलैंड की सेना ने बताया कि रॉकेट हमलों से प्रभावित गांवों में रहने वाले ज्यादातर नागरिक थाईलैंड की ओर से हताहत हुए हैं। कंबोडिया ने कहा कि उसकी ओर 13 लोग मारे गए हैं, जिनमें 8 नागरिक शामिल हैं। सोमवार को कुआलालंपुर में शांति वार्ता जारी रहने के बावजूद दोनों देशों में गोले और रॉकेट गिरते रहे।
झड़प
क्यों शुरू हुई थी जंग?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 19वीं सदी से 817 किलोमीटर लंबे भूमि सीमा पर विभिन्न अनिर्धारित बिंदुओं पर संप्रभुता को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों देश प्रियह विहार मंदिर और इसके आसपास के क्षेत्र, ता मुअन थॉम, ता मुअन तोच, और ता क्रबेई जैसे अन्य प्राचीन मंदिर और एमराल्ड ट्रायंगल को लेकर झगड़ रहे हैं। मई में विवाद सशस्त्र झड़प में बदल गया, जिसमें कंबोडियाई सैनिक की मौत हुई थी। जुलाई में फिर गोलीबारी के बाद युद्ध छिड़ गया।