क्या है नेपाल का गढ़ीमाई उत्सव, जिसमें पशुओं की बलि रोकने की उठ रही मांग?
नेपाल के बारा जिले में हर 5 साल में मनाए जाने वाले गढ़ीमाई उत्सव की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है, जो इस साल 7 से 9 दिसंबर तक मनाया जाएगा। इस उत्सव के दौरान लाखों पशुओं की बलि चढ़ाई जाती है। इसने पशु अधिकारों से जुड़े राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगठनों को परेशान कर दिया है। पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से इसे रोकने की मांग की है।
क्या है गढ़ीमाई उत्सव?
गढ़ीमाई उत्सव नेपाल के बारा जिले में गढ़ीमाई मंदिर में हर 5 साल पर मनाया जाता है। 2024 से पहले 2019 में यह त्योहार मनाया गया था। इसमें नेपाल के अलावा भारत और अन्य देशों से भी श्रद्धालु आते हैं। इसे दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक पशु वध त्योहार कहा जाता है क्योंकि 3 दिन के अंदर यहां लाखों पशुओं की एक साथ बलि दी जाती है। उत्सव में भैंस, सूअर, बकरी और पक्षियों की बलि दी जाती है।
PETA ने पत्र में क्या कहा?
PETA ने पत्र नेपाली प्रधानमंत्री के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी लिखा है। इसमें कहा गया, "सामूहिक पशु बलि को रोका जाना चाहिए, जो पशुओं और अपनी सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। ऐसे स्थानों पर शारीरिक तरल पदार्थों के आपस में मिलने से जूनोटिक बीमारियां पनपती हैं।" पत्र में बताया गया, "पशुओं का सिर काटने से मौके पर उपस्थित लोग रोगाणुओं के संपर्क में आते हैं, जिससे एवियन इन्फ्लूएंजा, एंथ्रेक्स, लेप्टोस्पायरोसिस जैसी जूनोटिक बीमारियां फैलती हैं।"
उत्सव में 70 से 75 प्रतिशत पशुओं की होती है तस्करी
कुछ संगठनों की रिपोर्ट का कहना है कि इस उत्सव में सिर्फ नेपाल ही नहीं बल्कि आसपास के देशों से भी पशुओं को शामिल किया जाता है, जिनमें 70 से 75 प्रतिशत अवैध तस्करी से लाए जाते हैं। भारत-नेपाल सीमा पर पशुओं की अवैध तस्करी रोकने के लिए कुछ पशु संगठन ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (HSI) और पीपुल फॉर एनिमल्स (PFA) की टीम सशस्त्र सीमा बल (SSB) की सहायता कर रही है। जब्त जानवर सुरक्षित जगह ले जाए जा रहे हैं।
2009 में हुई थी 5 लाख से अधिक पशुओं की बलि
HSI और PFA 2014 से गढ़ीमाई में पशु बलि को रोकने का काम कर रहे हैं। संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि 2009 में इस उत्सव के दौरान 5 लाख से अधिक पशुओं की बलि हुई थी। हालांकि, आगे के सालों में जागरूकता बढ़ने और सख्ती करने से यह कम होती गई। 2014 और 2019 में यह घटकर करीब आधी ढाई लाख हो गई। पशु संगठन इस साल इसे पूरी तरह रोकना चाहते हैं।