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भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बड़ा रक्षा समझौता, समुद्र के नीचे बढ़ेगी निगरानी क्षमता
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बड़ा रक्षा समझौता (तस्वीर: पिक्साबे)

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बड़ा रक्षा समझौता, समुद्र के नीचे बढ़ेगी निगरानी क्षमता

Jul 03, 2025
05:25 pm

क्या है खबर?

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने समुद्र के नीचे निगरानी बढ़ाने के लिए अपने पहले रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता 3 साल की साझेदारी है, जिसमें पनडुब्बियों और स्वायत्त पानी के नीचे वाहनों को पहचानने और ट्रैक करने की तकनीक को मजबूत किया जाएगा। दोनों देशों की यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर और रणनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।

तकनीक

क्या है 'टारगेट मोशन एनालिसिस' तकनीक?

इस परियोजना में 'टोड ऐरे टारगेट मोशन एनालिसिस' नामक तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो समुद्र में चलने वाले लक्ष्यों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए बनाई गई है। यह तकनीक निष्क्रिय ऑपरेशन के दौरान जहाज को आसपास की गतिविधियों के प्रति सतर्क बनाए रखने में मदद करती है। इसमें पानी के नीचे लगे हाइड्रोफोन समुद्री ध्वनि तरंगों को पकड़ते हैं और विशेष सिग्नल प्रोसेसर के जरिए उनका विश्लेषण करते हैं, जिससे खतरे की पहचान हो सके।

सहयोग

क्यों अहम है यह तकनीकी सहयोग?

भारत और ऑस्ट्रेलिया मिलकर इस तकनीक पर काम करेंगे ताकि शोरभरे वातावरण में भी पानी के नीचे मौजूद लक्ष्यों की पहचान आसानी से हो सके। इस सहयोग से दोनों देशों की निगरानी प्रणाली की विश्वसनीयता और असरकारिता बढ़ेगी। इसके साथ ही, नई तकनीकें विकसित करने और उन्हें परखने के लिए वैज्ञानिकों और रक्षा विशेषज्ञों के बीच विचारों का आदान-प्रदान भी किया जाएगा। इससे भविष्य की समुद्री सुरक्षा रणनीतियाँ और मजबूत बन सकेंगी।

योजना

भविष्य के लिए क्या है योजना?

परियोजना में नए एल्गोरिदम का परीक्षण, प्रदर्शन मूल्यांकन और प्रयोगशालाओं में जांच शामिल है। इसे समुद्री निगरानी की नई दिशा तय करने वाला माना जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के DSTG और भारत के DRDO के वैज्ञानिक इस साझेदारी के जरिए बेहतर सुरक्षा तकनीक विकसित करेंगे। इस परियोजना से दोनों देशों को गहरे समुद्र में सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने का मौका मिलेगा और आने वाले समय में यह तकनीक उनकी नौसेनाओं की ताकत बढ़ाएगी।