कोरोना वायरस: अमेरिका में मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी
क्या है खबर?
रविवार को अमेरिकी प्रशासन ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी। अपने बयान में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने कहा कि प्लाज्मा थैरेपी कोविड मरीजों के इलाज में प्रभावी हो सकती है और इसके फायदे इससे होने वाले नुकसानों के मुकाबले अधिक हैं।
FDA क्लिनिकल ट्रायल और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी के उपयोग की मंजूरी पहले ही दे चुका है।
बयान
ट्रंप बोले- प्लाज्मा थैरेपी की सफलता दर शानदार
अपनी दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस घोषणा पर बोलते हुए अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्लाज्मा थैरेपी को सुरक्षित और प्रभावी बताया। उन्होंने कहा कि इसकी सफलता दर शानदार है और इससे अगिनत लोगों को बचाया जा सकेगा।
वहीं देश के स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार और FDA कमिश्नर स्टीफन हैन ने इसे एक ऐतिहासिक घोषणा बताया है। हालांकि विशेषज्ञों में इसे लेकर सरकार जितना उत्साह नहीं हैं और उन्होंने इसके फायदों पर सतर्कता भरे बयान दिए हैं।
प्लाज्मा थैरेपी
क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी?
कोन्वेलेसेंट प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना वायरस को मात दे चुके शख्स के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है और उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है। प्लाज्मा, खून का एक कंपोनेट होता है।
ठीक हो चुके शख्स के खून में SARS-CoV-2 वायरस को मारने वाली एंटीबॉडी बन जाती हैं और प्लाज्मा के जरिये वो एंटीबॉडीज संक्रमित मरीज के शरीर में दाखिल हो वायरस को मारती हैं और वह ठीक हो जाता है।
प्रभावी
प्लाज्मा थैरेपी कितनी प्रभावी, इसे लेकर एक राय नहीं
कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी कितनी प्रभावी है, इसे लेकर विशेषज्ञों में एक राय नहीं है और कुछ ने इसके साइड इफेक्ट के बारे में भी चेताया है।
विशेषज्ञों को मानना है कि अगर कोरोना वायरस से संक्रमित होने के ठीक बाद किसी मरीज को प्लाज्मा थैरेपी दी जाए तो ये बेहद प्रभावी साबित होती है। पहले से ही गंभीर रूप से बीमार लोगों पर इसके फायदों को लेकर स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
ट्रायल
ट्रायल में आया सामने- शुरूआती दौर में प्लाज्मा देने पर कम होती है मृत्यु दर
अमेरिका के ही ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के एक ट्रायल में कोरोना वायरस के मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी देने पर मृत्यु दर कम होने की बात सामने आई थी।
350 मरीजों के इस ट्रायल के शुरूआती नतीजों में सामने आया कि अगर कोरोना वायरस के मरीजों को बीमारी की शुरूआत, विशेषकर अस्पताल में भर्ती कराए जाने के 72 घंटे के अंदर, में ज्यादा एंटीबॉडी वाला प्लाज्मा दिया जाता है तो इससे कोरोना वायरस की मृत्यु दर में कमी आती है।
अन्य ट्रायल
AIIMS के ट्रायल में नहीं देखने को मिला प्लाज्मा थैरेपी का फायदा
इसके विपरीत दिल्ली AIIMS में हुए प्लाज्मा थैरेपी के ट्रायल में सकारात्मक नतीजे सामने नहीं आए। 15 मरीजों पर किए गए इस ट्रायल में प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना वायरस की मृत्यु दर में कोई कमी नहीं देखने को मिली थी।
हालांकि इन सभी पेचीदगियों के बावजूद आमतौर पर प्लाज्मा थैरेपी को फायदेमंद माना जाता है और अमेरिका और भारत समेत कई देशों में इसका उपयोग किया जा रहा है। अमेरिका में ही 70,000 लोगों को प्लाज्मा दिया जा चुका है।