केरल के इस गांव में हैं सबसे ज्यादा जुड़वा बच्चे; क्या है इसकी वजह?
क्या है खबर?
केरल में एक ऐसा गांव है, जहां सैकड़ों जुड़वा बच्चे हैं। इस गांव का नाम कोडिन्ही है और यहां असामान्य रूप से बड़ी संख्या में जुड़वा बच्चे हैं।
कुछ लोग इसे खान-पान का नतीजा बताते हैं तो कुछ इसे हवा-पानी की देन मानते हैं। ऐसा होने का कारण पता लगाने के लिए कई तरह के शोध भी किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी यह एक रहस्य बना हुआ है।
आइये इस गांव के बारे में विस्तार से जानते हैं।
गांव
'ट्विन टाउन' के नाम से मशहूर है यह गांव
कोडिन्ही, मलाप्पुरम जिले का एक छोटा और सुदूर गांव है, जहां सबसे ज्यादा जुड़वा बच्चे हैं।
तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव में 400 से ज्यादा जोड़े जुड़वा है।
जुड़वा बच्चों की इतनी अधिक संख्या होने के कारण ही इस गांव को 'ट्विन टाउन' भी कहा जाता है।
इस असामान्य घटना की पहेली को सुलझाने के लिए डॉक्टर और विषेषज्ञ भी अपना दिमाग लगा रहे हैं। हालांकि, वे अभी तक किसी सटीक नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं।
कयास
लोगों ने जुड़वा जन्म को लेकर लगाएं ये अटकलें
लोगों का मानना है कि स्थानीय आहार के कारण शायद जुड़वा बच्चों के गर्भधारण की संभावना बढ़ती है, जबकि अन्य लोग सोचते हैं कि यह यहां के हवा या पानी में विशेष तत्व के कारण हो सकता है।
हालांकि, ये सिर्फ अटकलें हैं। अभी वैज्ञानिक रूप से कुछ साबित नहीं हुआ है।
शोधकर्ताओं ने जुड़वा बच्चों के DNA का अध्ययन करने के लिए उनके खून, लार और बालों को इकट्ठा किया है ताकि इसे बेहतर ढंग से समझा जा सके।
वृद्धि
1990 के बाद से जुड़वा बच्चों के जन्म में हुई वृद्धि
जानकारी के मुताबिक, गांव में जुड़वा बच्चे के जन्म का मामला पहली बार 1940 के दशक में आया था, लेकिन 1990 के दशक के अंत तक जुड़वा बच्चों के जन्म की संख्या में वृद्धि नहीं हुई थी।
इसके बाद से ही गांव में जुड़वा बच्चों के जन्म की संख्या में वृद्धि देखी गई है, जिससे यह धीरे-धीरे शोधकर्ताओं के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है, जो जुड़वा जन्म की घटना का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं।
जानकारी
जुड़वा बच्चे होने को विशेष उपहार मानते हैं निवासी
गांव के लोग जुड़वा बच्चे होना एक विशेष उपहार के रूप में देखते हैं और अपनी जुड़वा आबादी पर गर्व करते हैं।
इतना ही नहीं, यहां के निवासी जुड़वा बच्चों के लेकर वार्षिक उत्सव भी मनाते हैं और इसमें भाग लेने के लिए देशभर के लोग कोडिन्ही आते हैं।
इस दौरान पारंपरिक नृत्य, संगीत और भोजन की व्यवस्था भी की जाती है।