इस देश के लोगों को पसंद हैं भारतीय फिल्में, हर समय गुनगुनाते हैं हिंदी गाने
क्या है खबर?
फिल्मों के शौक़ीन दुनियाभर में मौजूद हैं। जिस तरह से भारत में लोग हॉलीवुड फिल्मों को काफ़ी पसंद करते हैं, वैसे ही दुनिया के कई देश हैं, जहाँ भारतीय फिल्मों को पसंद किया जाता है।
केवल यही नहीं, वहाँ के लोग हर समय हिंदी गाने भी गुनगुनाते रहते हैं।
एक ऐसा ही देश है तुर्कमेनिस्तान, जहाँ के लोग भारतीय फिल्मों और गानों के दीवाने हैं।
आइए आज आपको उस देश के बारे में विस्तार से बताते हैं।
माहौल
दुनिया से कटा हुआ है तुर्कमेनिस्तान
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तुर्कमेनिस्तान में कई चीज़ों पर प्रतिबंध है। वहाँ फोटोग्राफी करना माना है, यहाँ तक कि उस देश के नागरिकों को खुलकर बोलने की भी आज़ादी नहीं है।
उत्तर कोरिया की तरह ही यह देश दुनिया से कटा हुआ है और सबसे सूखे रेगिस्तानों में से एक है।
तुर्कमेनिस्तान का 80% हिस्सा कराकुम काले रेत वाले रेगिस्तान से ढँका हुआ है। वहाँ केवल 0.12 मिमी ही बारिश होती है।
शुरुआत
1991 में सोवियत संघ से अलग होकर बना अलग नया देश
तुर्कमेनिस्तान को तुर्कमेनिया के नाम से भी जाना जाता है।
1991 तक यह देश सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 27 अक्टूबर, 1991 को यह सोवियत संघ से अलग होकर एक नया देश बन गया।
तुर्कमेनिस्तान के दक्षिण-पूर्व में अफगानिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में ईरान, उत्तर-पूर्व में उज़्बेकिस्तान, उत्तर-पश्चिम में कजाकिस्तान और पश्चिम में कैस्पियन सागर स्थित है।
तुर्कमेनिस्तान की हालत दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा बहुत ज़्यादा ख़राब है।
राष्ट्रपति
सपरमारुत नियाजोव थे तुर्कमेनिस्तान के पहले राष्ट्रपति
तुर्कमेनिस्तान के पहले राष्ट्रपति सपरमारुत नियाजोव थे। वह एक तानाशाह की तरह सामने आए थे, क्योंकि वो राष्ट्रपति चुनाव में देश के अकेले उम्मीदवार थे।
हालाँकि, उन्होंने देश के लिए अच्छा काम किया, जिसकी वजह से 1994 में देश के 99.9% नागरिकों ने उनका कार्यकाल 10 साल करने के लिए वोट किया था।
जब तक वो देश के राष्ट्रपति रहे, देशभर में जगह-जगह इमारतों पर उनकी ही तस्वीरें और मूर्तियाँ लगी रहीं।
फिल्में
तुर्कमेनिस्तान के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई जाती है हिंदी
समय बदला और देश के राष्ट्रपति भी बदले। फ़िलहाल तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरंबगुली हैं, लेकिन देश की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
देश की कुल आबादी लगभग 56 लाख है और वहाँ के लोगों का मुख्य पेशा कृषि और पशुपालन है।
तुर्कमेनिस्तान के लोगों को भारतीय फिल्में काफ़ी पसंद हैं और वे हमेशा हिंदी फिल्मों के गाने गुनगुनाते रहते हैं। इसके साथ ही वहाँ के बच्चों को स्कूल में हिंदी भी पढ़ाई जाती है।