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भिखारी की मौत के बाद मिले डेढ़ लाख रुपये के सिक्के और 8.7 लाख की FD

भिखारी की मौत के बाद मिले डेढ़ लाख रुपये के सिक्के और 8.7 लाख की FD

Oct 07, 2019
04:58 pm

क्या है खबर?

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शुक्रवार को गोवंडी स्टेशन के पास ट्रेन से कटकर एक भिखारी की मौत हो गई। रेलवे पुलिस ने मृत भिखारी की पहचान 82 साल के बिरभीचंद चंद आज़ाद के रूप में की। जब जाँच के लिए पुलिस आज़ाद के घर पहुँची तो उन्हें उनकी झोपड़ी से 1.75 लाख रुपये के सिक्के और 8.7 लाख रुपये की FD के पेपर्स मिले। आइए इस घटना के बारे में विस्तार से जानें।

मामला

पुलिस कर रही है आज़ाद के बेटे से संपर्क करने की कोशिश

पुलिस को आज़ाद की झोपड़ी से पैन कार्ड, आधार कार्ड और सीनियर सिटिज़न कार्ड भी मिला। भिखारी की झोपड़ी में इतनी दौलत देखकर पुलिस हैरान हो गई। चार बैगों में भरकर रखे गए सिक्कों को गिनने में पुलिस को कुल छह घंटे लग गए। बता दें कि आज़ाद का शव रेलवे पुलिस को ट्रेन की पटरियों पर मिला था। उसके बाद से ही पुलिस राजस्थान में रहने वाले आज़ाद के बेटे से संपर्क करने की कोशिश कर रही है।

जानकारी

मुंबई में अकेले ही रहता था भिखारी: नंदकुमार सासते

सीनियर इंस्पेक्टर नंदकुमार सासते ने मुंबई मिरर से बातचीत में कहा, "झुग्गी वाली इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने बताया कि वह भिखारी ही था। उसके कुछ पेपर में घर का पता राजस्थान का है। मुंबई में वह अकेले ही रहता था।"

कार्रवाई

शनिवार की रात से लेकर रविवार की सुबह तक हुई सिक्कों की गिनती

शुक्रवार को हुए इस हादसे के बाद आज़ाद की झोपड़ी में दर्जन भर पुलिसवालों की टीम उनकी संपत्ति से जुड़ी कार्रवाई को रविवार तक पूरी कर पाई। आज़ाद की 10X10 की झोपड़ी में लाखों की दौलत देखकर सभी पुलिसवाले हैरान हो गए। इंस्पेक्टर सासते ने कहा, "हमने शनिवार रात को सिक्के गिनने का काम शुरू किया और रविवार सुबह तक गिनते रहे। पूरे कमरे में बहुत सारे पेपर्स पड़े थे, जिसमें 8.77 लाख के FD पेपर्स भी थे।"

बयान

बच्चों के लिए मुंबई में रहकर माँगता था भीख: झुग्गी का एक व्यक्ति

उन्होंने आगे कहा कि इस घटना की जानकारी हमने राजस्थान पुलिस को दे दी है। जानकारी के अनुसार, आज़ाद कई सालों से गोवंडी में रहते थे। वह हार्बर लाइन के स्टेशनों पर भीख माँगने का काम करते थे। झुग्गियों में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि वह अपने बच्चों के लिए ही मुंबई में रहकर भीख माँगता था। झुग्गियों में रहने वाले अन्य भिखारियों का कहना है कि उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि आज़ाद के पास इतने पैसे हैं।