मध्य प्रदेश की बुज़ुर्ग आदिवासी महिला की पेंटिंग्स इटली प्रदर्शनी में लगी, मिल रही वैश्विक पहचान
क्या है खबर?
आपको पश्चिम बंगाल की रानू मंडल तो याद ही होंगी। कुछ दिनों पहले उन्होंने अपनी सुरीली आवाज़ से पूरे देश को झूमने पर मजबूर कर दिया था।
हाल ही में एक ऐसी ही आदिवासी महिला ने अपनी पेंटिंग्स से पूरी दुनिया को हैरानी में डाल दिया है।
दरअसल, मध्य प्रदेश की रहने वाली एक बुज़ुर्ग आदिवासी महिला की पेंटिंग को इटली के मिलान में प्रदर्शनी में लगाया गया।
इस कारण महिला और उसकी पेंटिंग्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल रही है।
प्रदर्शनी
इटली के मिलान शहर में लगी है पेंटिंग्स की प्रदर्शनी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 80 साल की आदिवासी महिला जोधइया बाई इन दिनों देश से लेकर विदेश में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
जोधइया बाई एक साधारण परिवार की अनपढ़ महिला हैं, लेकिन उनकी पेंटिंग इटली के मिलान शहर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
ख़बरों के अनुसार, दुनियाभर में फ़ैशन और डिज़ाइन के लिए चर्चित मिलान शहर में मध्य प्रदेश के उमरिया की रहने वाली जोधइया बाई की पेंटिंग की प्रदर्शनी लगी है।
जानकारी
पेंटिंग को मिली है इंवाइटिंग लेटर के कवर पेज पर जगह
बता दें की जोधइया बाई की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी 11 अक्टूबर तक चलेगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि जोधइया बाई अनपढ़ हैं, लेकिन उनकी पेंटिंग को प्रदर्शनी के इंवाइटिंग लेटर के कवर पेज पर जगह मिली है।
शुरुआत
गुरु के आदेश के बाद थाम लिया पेंटिंग ब्रश
जोधइया बाई ने बताया, "आजकल मैं पेंटिंग्स के अलावा और कुछ नहीं करती। अच्छा लग रहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेरी पेंटिंग्स को पहचान मिल रही है।"
उन्होंने बताया, "लगभग 40 साल पहले मेरे पति की मृत्यु हो गई थी। परिवार का गुज़र-बसर करने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं था। तब गुरु आशीष स्वामी ने कहा कि अपने पारंपरिक चित्र बनाओ तो तुम्हारे बच्चे पलेंगे। इसके बाद मैंने पेंटिंग ब्रश थाम लिया।"
सफ़र
देश के कई हिस्सों में लगा चुकी हैं अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी
जोधइया बाई ने आगे बताया, "मैंने जंगली जानवरों से लेकर जो भी समझ में आया, वो सब बनाया। मैं देश के कई हिस्सों में गई और वहाँ अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई।"
जोधइया बाई की इस उपलब्धि को देखने के बाद उनके गुरु आशीष स्वामी ने कहा कि जोधइया ने अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया है। आने वाले समय में वह कई कीर्तिमान स्थापित करेगी।
उन्होंने आगे बताया कि जोधइया 2008 से हमारे केंद्र में आ रही है।
जानकारी
समुदाय के दूसरे लोगों को मिलेगी प्रेरणा
जोधइया बाई की सफलता पर एक आदिवासी कार्यकर्ता ने कहा, "यह देखकर ख़ुशी होती है कि आदिवासियों के पास अभी भी अच्छी शिक्षा नहीं है, फिर भी उनकी कला गर्व के क़ाबिल है। इससे समुदाय के दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।"