हिमाचल के डाॅक्टर बने भगवान, 13 साल बाद मरीज के फेफड़े से निकाला पेन का ढक्कन
क्या है खबर?
समाज में आज भी डाॅक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है, क्योंकि भगवान के बाद डाॅक्टर ही केवल ऐसा शख्स है जो किसी को माैत के मुंह से बचा सकता है।
भगवान बने डाॅक्टरों का ऐसा ही एक मामला हिमाचल के चंबा से सामने आया है जिसमें 13 साल से परेशान एक मरीज के फेफड़े से पेन का ढक्कन निकाला है।
हिमाचल के IGMC के डाॅक्टरों ने 20 मिनट में ब्रांकोस्कोपी के माध्यम से इस सफलता को हासिल किया।
मामला
ब्रांकोस्कोपी टेस्ट से सामने आई सच्चाई, डाॅक्टर भी रह गए हैरान
दरअसल, हिमाचल के 30 साल के विपिन सीने में सीटियां बजने और संक्रमण के बाद अस्पताल पहुंचे थे।
बुधवार सुबह डाॅक्टरों को ब्रांकोस्कोपी टेस्ट के जरिए पता चला कि मरीज के फेफड़ों मे पेन का ढक्कन फंसा हुआ है। इसके बाद तुरन्त डाॅक्टरों ने लोकल एनेस्थीसिया और ब्रांकोस्कोपी की मदद से केवल 20 मिनट में पेन का ढक्कन निकाल दिया।
बता दें कि विपिन को बार-बार इंफेक्शन की समस्या और बुखार से परेशानी थी।
इलाज
लम्बे समय तक डाॅक्टरों की पकड़ में नहीं आई थी मरीज की बीमारी
विपिन को लम्बे समय तक अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े, लेकिन टेस्ट रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की बीमारी सामने नहीं आ पाई। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी और इंफेक्शन की समस्या हो गई ।
चिकित्सकों ने इस दौरान समझा कि विपिन को अस्थमा की बीमारी हो सकती है। डॉक्टरों ने मरीज के सीने के एक्सरे और सीटी स्कैन कराए, लेकिन रिपोर्ट सामान्य आई।
इसके बाद मरीज एक दिसंबर को IGMC में इलाज के लिए पहुंचा।
जानकारी
मरीज को वार्ड में शिफ्ट करने के बाद डाॅक्टर ने दिया बयान
मरीज के फेफड़े से पेन का ढक्कन निकालने के बाद पल्मोनरी विभाग के वार्ड में शिफ्ट किया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर है।
इस मामले में चिकित्सक डॉ. आरएस नेगी ने बताया कि यह प्लास्टिक का ढक्कन था इसलिए एक्सरे और सीटी स्कैन में नहीं दिख पाया, लेकिन अगर यह अधिक समय तक रहता तो मरीज की हालत बिगड़ सकती थी।
इस सफल ऑपरेशन में पल्मोनरी विभाग की टीम शामिल हुई थी।
बयान
मरीज ने सुनाई अपनी पीड़ा, कैसे निगल गया था पेन का ढक्कन?
मरीज ने लम्बे समय के बाद अपने दर्द से निजात पाने के बाद बताया कि 2006 में मुंह के जरिये पेन का ढक्कन गलती से निगल लिया था। इसके बाद उन्हें उल्टी हुई और लगा कि ढक्कन निकल गया है।
लेकिन बार बार इंफेक्शन की समस्या होने लगी और कई जगह डॉक्टरों से जांच करवाई, जिसमें सभी टेस्ट रिपोर्ट सही आई।
इसके बाद लगातार दर्द से परेशान होने के बाद एक दिसंबर को IGMC मेंं इलाज शुरू करवाया।