डकवर्थ-लुईस नियम बनाने वाले टोनी लुईस का 78 साल की उम्र में निधन
लिमिटेड ओवर्स की क्रिकेट में बारिश का खलल पड़ने पर भी हर हाल में खेल को जारी रखने की कोशिश की जाती है। इस दौरान ओवर घटाए जाते हैं तो वहीं दूसरी पारी में खेलने वाली टीम को संशोधित लक्ष्य भी दिया जाता है। यह सब डकवर्थ-लुईस नियम के आधार पर किया जाता है। डकवर्थ-लुईस नियम बनाने में शामिल रहने वाले टोनी लुईस का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है।
ECB ने दी लुईस के निधन की जानकारी
इंग्लैंड एंड वेल्श क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने बुधवार को घोषणा की कि टोनी लुईस का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने लिखा, 'टोनी लुईस के निधन की खबर मिलने से ECB काफी आहत है। टोनी ने साथी गणितज्ञ फ्रैंक डकवर्थ के साथ मिलकर डकवर्थ-लुईस नियम बनाया जिसे 1997 में सामने लाया गया था। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने इसे 1999 में ऑफिशियली अपनाया था।'
लेक्चरर के पद पर काम करते थे लेविस
गणित और सांख्यिकी में डिग्री हासिल करने वाले लेविस लेक्चरर के पद पर काम करते थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट ऑफ इंग्लैंड में लेक्चरर रहते हुए अंडरग्रेजूएट फाइनल ईयर के प्रोजेक्ट के तहत डकवर्थ-लुईस की खोज की थी। 1992 विश्व कप में रेडियो कमेंट्री पर उन्होंने सुना था कि कमेंटेटर्स भविष्य में किसी अच्छे नियम के आने की कामना कर रहे थे। इसके बाद ही उन्होंने इस नियम को बनाने पर काम शुरु किया था।
बारिश से प्रभावित मैचों में पहले लगाया जाता था यह नियम
सिडनी में हुई 1992 विश्व कप सेमीफाइनल के बारिश से प्रभावित होने के बाद इस फॉर्मूले पर काम किया गया था। उस समय जो नियम उपयोग में लाया जाता था उसमें दोनों टीमों की पारियों से सबसे कम रन बनने वाले ओवर्स को निकाल दिया जाता था। हालांकि, इसी नियम के चलते सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 13 गेंदों पर 22 रनों की जरूरत होने के बाद बारिश के कारण एक गेंद पर 21 रन का लक्ष्य मिला था।
पुराने नियम और डकवर्थ-लुईस में है यह अंतर
पिछले नियमों और डकवर्थ-लुईस में सबसे बड़ा अंतर यह था कि नया नियम स्कोर का बचाव कर रही टीम द्वारा लिए विकेट और स्कोर का पीछा कर रही टीम द्वारा बनाए गए रन दोनों को ध्यान में रखती थी। इसका मतलब था कि बारिश का खलल कई बार पड़ने के बाद भी लक्ष्य को संशोधित किया जा सकता था। भले ही इस नियम की आलोचना होती है, लेकिन यह जल्द ही लगातार उपयोग में लाया जाने लगा था।
लगातार आलोचना का शिकार होता रहा है डकवर्थ-लुईस फॉर्मूला
कई टीमें अब भी इस बात को लेकर कन्फ्यूज रहती हैं कि उन्हें कितना स्कोर बनाकर मैच को टाई कराना है और कितने पर उन्हें जीत मिलेगी। 2003 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका ने भी यह गलती की थी और नॉकआउट हो गए थे। इस फॉर्मूले को टी-20 विश्व कप के लिए अनुचित माना जाता है और इसकी आलोचना होती रहती है। हालांकि, अब तक ICC द्वारा किसी अन्य तरीके को उपयोग में नहीं लाया गया है।