आज ही के दिन हुआ था एशेज का जन्म, जानें कैसे पड़ा इसका ये नाम
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज खेली जा रही है और फिलहाल तीसरे टेस्ट के बाद सीरीज 1-1 से बराबरी पर चल रही है। ऐसा माना जाता है कि एशेज से बेहतरीन प्रतिस्पर्धा वाली द्विपक्षीय सीरीज कोई है ही नहीं। इसकी शुरुआत 1882 में ही हुई थी, लेकिन इसे 'द एशेज' नाम मिलने में समय लगा था। आज ही दिन के इसे एशेज नाम दिया गया था तो जानें आखिर कैसे इस सीरीज को एशेज नाम मिला।
1882 में अपनी धरती पर पहली हार के बाद मीडिया ने किया नामकरण
1882 में ओवल पर ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को हराया और अपने घर में इंग्लैंड की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह पहली हार थी। हार से बौखलाई इंग्लिश मीडिया ने अपनी टीम को जमकर कोसा। इसी कड़ी में स्पोर्टिंग टाइम्स ने लिखा, "इंग्लिश क्रिकेट मर चुका है और उसकी चिता जलाने के बाद ऑस्ट्रेलिया एशेज (राख) को अपने साथ लेकर जा रही है।"
15 सेंटीमीटर की होती है एशेज ट्रॉफी
एशेज जीतने पर टीमों को ट्रॉफी मिलती है उसकी कुल लंबाई मात्र 15 सेंटीमीटर होती है। ऐसा माना जाता है कि इसमें एक क्रिकेट की गिल्ली को जलाकर उसकी राख डाली गई है। वास्तविक एशेज ट्रॉफी हमेशा इंग्लैंड में ही रहती है और टीम को जीतने के बाद दी जाने वाली ट्रॉफी इसकी प्रतीकात्मक होती है। 1998-99 से वाटरफोर्ड क्रिस्टल से बनी ट्रॉफी विजेता टीम को दी जाती है।
12-18 महीने के अंतराल में खेली जाती है एशेज
एशेज सीरीज 12-18 महीने के अंतराल में खेली जाती है। एक इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया का दौरा करती है तो अगली बार ऑस्ट्रेलिया की टीम इंग्लैंड का दौरा करती है।
एशेज में ऑस्ट्रेलिया को मिली है ज्यादा जीत
एशेज सीरीज के अंतर्गत दोनों देशों के बीच कुल 330 टेस्ट खेले जा चुके हैं जिनमें से 134 में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली है। इंग्लैंड ने 106 मुकाबले जीते हैं तो वहीं 90 मैच ड्रॉ पर समाप्त हुए हैं। इसके अलावा सीरीज जीत की बात करें तो कुल 70 सीरीज में से ऑस्ट्रेलिया ने 33 बार तो वहीं इंग्लैंड ने 32 बार सीरीज पर कब्जा जमाया है। पांच बार एशेज सीरीज ड्रॉ पर खत्म हुई है।