भारतीय फुटबॉल के दो स्तंभों, सुनील छेत्री और बाईचुंग भूटिया के करियर की तुलना
क्या है खबर?
हर खेल में कुछ ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिनका करियर अदभुत होता है और फिर दशकों तक अन्य खिलाड़ियों की तुलना उनसे की जाती है।
भारतीय फुटबॉल में आपको ज़्यादा बड़े नाम नहीं मिलेंगे।
सबसे पहले तो बाईचुंग भूटिया ने लंबे समय तक भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाया। फिलहाल सुनील छेत्री के रूप में भारतीय फुटबॉल के पास एक नायाब हीरा है।
भूटिया और छेत्री में तुलना नहीं की जा सकती है लेकिन फिर भी उनके आंकड़ों पर एक नजर।
बाईचुंग भूटिया
छेत्री से 10 साल पहले भारतीय जर्सी पहन चुके थे भूटिया
भूटिया ने 16 साल की उम्र में ही स्कूल छोेड़कर ईस्ट बंगाल क्लब ज्वाइन कर लिया था।
1995 में जब भूटिया भारतीय टीम के लिए डेब्यू कर चुके थे और सबसे युवा गोलस्कोरर भी बन गए थे तब छेत्री 11 साल के थे।
भूटिया ने भारतीय टीम में अपना नाम बना लिया था तब तक छेत्री क्लब लेवल पर भी नहीं आ सके थे।
अगर यह कहें कि भूटिया ने ही छेत्री को प्रेरित किया तो गलत नहीं होगा।
यूरोप
यूरोपियन कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे भूटिया
1999 में भूटिया ने इंग्लिश क्लब बरी के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया।
इस तरह भूटिया यूरोपियन कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले पहले तथा यूरोपियन क्लब के लिए प्रोफेशनली खेलने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने थे।
मार्च 2010 में खबरें आईं थी कि छेत्री मेजर लीग शॉकर क्लब कंसास सिटी विजार्ड के साथ ट्रॉयल पर हैं।
बाद में उन्हें कॉन्ट्रैक्ट मिला और उन्होंने क्लब के लिए मैनचेस्टर यूनाइटेड के खिलाफ दोस्ताना मुकाबले में भी शिरकत की।
गोलस्कोरिंग
क्लब और नेशनल लेवर पर गोलस्कोरिंग आंकड़ें
भूटिया ने अपने लगभग 23 साल के लंबे घरेलू करियर में कुल 227 मुकाबले खेले जिनमें उन्होंने 114 गोल दागे।
भारतीय फुटबॉल टीम के लिए भूटिया ने 107 मुकाबलों में 42 गोल दागे थे।
सुनील छेत्री ने क्लब और नेशनल लेवल दोनों ही जगह शानदार प्रदर्शन किया है।
अपने 17 साल के क्लब करियर में छेत्री अब तक 235 मुकाबलों में 122 गोल दाग चुके हैं।
नेशनल लेवल पर छेत्री 104 मुकाबलों में 65 गोल के साथ टॉप स्कोरर हैं।
अवार्ड्स
व्यक्तिगत अवार्ड्स पर एक नजर
भूटिया को फुटबॉल के लिए अर्जुन अवार्ड व देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण भी दिया जा चुका है।
इसके अलावा किसी फुटबॉलर के नाम पर फुटबॉल स्टेडियम होने वाले पहले भारतीय भूटिया ही हैं।
भूटिया दो बार 'AIFF प्लेयर ऑफ द ईयर' भी रह चुके हैं।
सुनील छेत्री ने सबसे ज़्यादा पांच बार 'AIFF प्लेयर ऑफ द ईयर' अवार्ड जीता है।
छेत्री को अर्जुन अवार्ड, AFC एशियन आइकन, हीरो ऑफ आइ-लीग और ISL भी मिला है।
टिप्पणी
दोनों में तुलना नहीं होनी चाहिए
जाहिर तौर पर दो युगों के खिलाड़ियों के बीच तुलना नहीं होनी चाहिए। अपने समय में भूटिया इकलौते खिलाड़ी थे जिनकी पहचान थी।
वर्तमान समय में छेत्री के अलावा भी तमाम भारतीय खिलाड़ी हैं जिनकी अच्छी-खासी पहचान है।
भूटिया ने जिस दौर में फुटबॉल खेला है उस दौर में न तो सोशल मीडिया था और न ही लोगों का इतना सपोर्ट मिलता था।
छेत्री को बहुत ज़्यादा सपोर्ट मिल रहा है और वह शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।