#NewsBytesExplainer: UWW के भारतीय कुश्ती महासंघ की सदस्यता समाप्त करने का क्या होगा असर?
कुश्ती की सर्वोच्च संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की सदस्यता को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दी है। दरअसल, WFI ने तय समय पर चुनाव नहीं कराया और इस लापरवाही के चलते उन पर ये कड़ी कार्यवाई की गई है। UWW के इस फैसले से WFI के लिए भविष्य में कई परेशानियां बढ़ने वाली हैं। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
बार-बार टाले गए हैं चुनाव
WFI को पहले जनवरी में और फिर मई में निलंबित कर दिया गया था। तब भारत के शीर्ष पहलवानों ने इसकी कार्यप्रणाली का विरोध किया था और इसके तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। भारतीय पहलवानों के विरोध प्रदर्शन और विभिन्न राज्य इकाइयों की कानूनी याचिकाओं के कारण चुनाव बार-बार स्थगित किए गए हैं। WFI के शासी निकाय में 15 पदों के लिए चुनाव 12 अगस्त को होने वाले थे।
12 अगस्त को होने थे चुनाव, बृजभूषण के करीबियों का प्रभाव देख हुए रद्द
हाल ही में उत्तर प्रदेश से WFI के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण के करीबी संजय सिंह सहित 4 उम्मीदवारों ने इस पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। चंडीगढ़ कुश्ती संस्था के दर्शन लाल को महासचिव पद के लिए नामांकित किया गया था। इससे ठीक पहले 11 अगस्त को हरियाणा कुश्ती महासंघ (HWA) के कुछ अधिकारी हाईकोर्ट पहुंच गए और चुनाव पर स्टे ले लिया था। HWA का तर्क था कि चुनाव में उसे वोटिंग का अधिकार नहीं दिया गया है।
प्रतिबंध के कारण विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में अपने देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकेंगे भारतीय एथलीट
निलंबन की घोषणा पटियाला में होने वाले विश्व चैंपियनशिप ट्रायल्स से एक दिन पहले की गई है। हालांकि, अनिश्चित काल के निलंबन के बावजूद पटियाला में ट्रायल पूर्व कार्यक्रम के अनुसार आयोजित किए जाएंगे। इस बीच निराशाजनक बात यह है कि अब भारतीय खिलाड़ी 16 से 24 सितंबर तक सर्बिया में होने वाली विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में अपने देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकेंगे। वह इस प्रतियोगिता में तटस्थ एथलीट के रूप में हिस्सा लेंगे।
UWW के बैनर तले खेलेंगे भारतीय पहलवान
भारतीय पहलवानों को विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में UWW के बैनर तले ही खेलना होगा। इन्हें 'ऑथोराइज्ड न्यूट्रल एथलीट' (ANA) के वर्ग में रखा जाएगा और ये पदक भारत की झोली में नहीं आएंगे।
भारत के अलावा इन देशों के भी होंगे तटस्थ एथलीट
सिर्फ भारत ही नहीं है, जो विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में बिना झंडे के खेलेगा। भारत के अलावा रूस और बेलारूस के एथलीट भी अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकेंगे। बता दें कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण इन दोनों देशों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि भारत, रूस और बेलारूस के एथलीट के जीतने के बावजूद उनके पदक उनके देश के हिस्से में नहीं जाएंगे।
एशियन गेम्स में अपने देश का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे भारतीय पहलवान
WFI के निलंबन के बावजूद 23 सितंबर से शुरू होने वाले आगामी एशियन गेम्स में भारतीय पहलवान अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के योग्य होंगे। दरअसल, एशियन गेम्स में बहुत सारे खेल खेले जाते हैं और इनमें हिस्सा लेने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) द्वारा प्रविष्टियां भेजी जाती है। इसमें WFI का दखल नहीं होता और यही कारण है कि एशियन गेम्स में भारतीय पहलवानों के स्वर्ण पदक जीतने की स्थिति में देश का राष्ट्रगान बज सकेगा।
क्यों की गई है WFI की स्थापना?
खेल संघ पर सरकारों का दखल न रहे इसलिए उसे स्वायत्त रखा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो कोई भी खेल संघ अपने देश की सरकार से ज्यादा वैश्विक संस्था के नियम-कायदों से चलती है। 27 जनवरी, 1967 को भारत में कुश्ती की देखरेख के लिए WFI की स्थापना की गई थी, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। कुश्ती की वैश्विक संस्था UWW पूरी दुनिया में नियम कानून तय करती है और WFI भी इसके अंतर्गत काम करती है।