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कोरोना वायरस: बॉल-टेंपरिंग को वैध करने पर विचार कर रही है ICC

कोरोना वायरस: बॉल-टेंपरिंग को वैध करने पर विचार कर रही है ICC

लेखन Neeraj Pandey
Apr 25, 2020
07:43 pm

क्या है खबर?

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) अंपायर्स की देखरेख में लाल गेंद को चमकाने के लिए खिलाड़ियों को कृत्रिम चीजों का इस्तेमाल करने की छूट दे सकती है। इससे खिलाड़ी गेंद को चमकाने के लिए लार और पसीने का इस्तेमाल करने से बच जाएंगे और कोरोना वायरस महामारी से खुद को बचा सकेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक ICC की मेडिकल टीम क्रिकेट के दोबारा शुरु होने से पहले इस मामले को देखेगी।

बयान

विचार के पक्ष में हैं प्राधिकारी

Espncricinfo की एक रिपोर्ट के मुताबिक, "प्राधिकारी इस बात को लेकर तैयार हैं कि वे गेंद को चमकाने के लिए एक ऐसी कृत्रिम चीज के इस्तेमाल की छूट दे सकते हैं जिस पर पहले से सहमति बन चुकी हो। "

गेंद चमकाने का कारण

रिवर्स स्विंग के लिए गेंद को चमकाना जरूरी

फील्डिंग कर रही टीम के लिए गेंद की एक साइड को चमकाना जरूरी हो जाता है क्योंकि ऐसा करने पर ही बाद में तेज गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग हासिल करने में मदद मिलती है। खिलाड़ी गेंद को चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन मेडिकल टीम इस चीज के लिए अन्य प्रभावी रास्ते खोजने पर काम कर रही है। कृत्रिम चीज के इस्तेमाल को बॉल-टेेंपरिंग माना जाता है, लेकिन यह एक उपाय हो सकता है।

नियम

क्या कहते हैं क्रिकेट के नियम

क्रिकेट के नियमों के मुताबिक अंपायर्स यदि खिलाड़ियों को गेंद की दशा बदलते हुए पाते हैं तो तुरंत उन्हें उन पर कार्यवाही करनी चाहिए। 41.3.1 नियम के मुताबिक अंपायर्स मैच के दौरान कभी भी गेंद की निरीक्षण कर सकते हैं। इसके अलावा 41.3.2 में निहित नियम के मुताबिक यदि उन्हें लगता है कि कोई गेंद के साथ छेड़छाड़ कर रहा है तो वे तुरंत गेंद को चेक कर सकते हैं।

जानकारी

क्या कहता है 41.3.2 नियम?

41.3.2 के मुताबिक किसी खिलाड़ी द्वारा ऐसा काम करना जिससे गेंद की स्थिति बदले को दोष माना जाता है। अपनी नॉर्मल ड्यूटी के अलावा एक बल्लेबाज भी जानबूझकर गेंद को क्षति नहीं पहुंचा सकता है।

प्रतिक्रिया

चमक हटी तो गेंदबाजों के लिए कठिन हो जाएगा टेस्ट- हेजलवुड

ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड का मानना है कि यदि गेंद की चमक हट जाएगी तो फिर गेंदबाजों के लिए टेस्ट क्रिकेट काफी कठिन हो जाएगा। उन्होंने कहा, "मेरा ख्याल है कि सफेद गेंद की क्रिकेट पर फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन टेस्ट क्रिकेट काफी कठिन हो जाएगा। गेंदबाज हवा में मिलने वाली मूवमेंट पर निर्भर होते हैं।" हेजलवुड ने लार या पसीना के इस्तेमाल पर कहा कि शायद एक व्यक्ति ऐसा कर सकता है।