एक्स अब पोस्ट, रीपोस्ट और लाइक करने के लिए भी लेगी पैसे, जानें कितना है चार्ज
क्या है खबर?
एलन मस्क की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) एक नए सब्सक्रिप्शन मॉडल का परीक्षण करेगी। इसके तहत वह सामान्य फीचर्स के लिए भी 1 डॉलर (लगभग 82 रुपये) वार्षिक शुल्क लेगी।
हालांकि, एक्स ने कहा कि एक्सचेंज दर के आधार पर अलग-अलग देशों में अलग-अलग वार्षिक शुल्क होगा।
नए सब्सक्रिप्शन मॉडल को 'नॉट ए बॉट' कहा गया है। एक्स ने इसे पेश करने का उद्देश्य बॉट और स्पैमर्स से मुकाबला करना बताया है।
एक्स
नए यूजर्स को देना होगा चार्ज
यूजर्स से एक्स के वेब वर्जन पर अन्य अकाउंट्स के पोस्ट को लाइक, रीपोस्ट, कोट करने और बुकमार्क करने के लिए शुल्क लिया जाएगा।
एक्स के इस नए सब्सक्रिप्शन मॉडल से मौजूदा यूजर्स प्रभावित नहीं होंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, नए यूजर्स जो सब्सक्रिप्शन नहीं लेंगे वे पोस्ट को लाइक या रीपोस्ट आदि नहीं कर पाएंगे। हालांकि, बिना सब्सक्रिप्शन वाले नए यूजर्स पोस्ट देख और पढ़ सकेंगे। इसके अलावा वीडियो देख सकेंगे और अकाउंट फॉलो कर सकेंगे।
लागू
पहले इन देशों में लागू होगा नया मॉडल
एक्स ने कहा कि नया सब्सक्रिप्शन मॉडल सबसे पहले न्यूजीलैंड और फिलीपींस के यूजर्स पर लागू होगा।
एक्स का कहना है कि इस नए सब्सक्रिप्शन मॉडल का उद्देश्य उन बॉट्स और स्पैमर्स से बचाव करना है, जो प्लेटफॉर्म में हेरफेर करने और अन्य एक्स यूजर्स के अनुभव को बाधित करने का प्रयास करते हैं।
मस्क के लिए बॉट इस प्लेटफॉर्म के अधिग्रहण के समय से ही विवादास्पद मुद्दा रहा है।
बॉट
मस्क ने बॉट अकाउंट को लेकर कही थी यह बात
कुछ समय पहले ही मस्क ने भारी संख्या में मौजूद बॉट्स से मुकाबला करने के लिए एक्स यूजर्स से चार्ज लिए जाने को एकमात्र तरीका बताया था।
उन्होंने कहा था कि एक बॉट की कीमत बहुत कम होती है, लेकिन फिर भी इसके लिए भुगतान करना पड़ेगा।
जब भी कोई बॉट निर्माता दूसरा बॉट बनाना चाहेगा तो उसे फिर से उसके लिए भुगतान करना होगा। अच्छे बॉट्स के साथ ही स्पैमर्स जैसे खराब बॉट्स भी हैं।
प्लस
क्या होते हैं बॉट्स?
बॉट्स सामान्य अकाउंट्स की तरह ही होते हैं, लेकिन बॉट अकाउंट्स को विभिन्न सॉफ्टवेयर के जरिए ऑटोमैटिक तरीके से चलाया जाता है। इन्हें अलग-अलग इंसान नहीं चलाते।
इससे एक ही समय में कई बॉट्स अकाउंट्स के जरिए भारी संख्या में पोस्ट की जा सकती हैं।
आमतौर पर इनका काम किसी प्रोडक्ट या सर्विस के लिए वेबसाइट पर ट्रैफिक लाना या कुछ ट्रेंड कराना होता है, लेकिन गलत जानकारी और प्रोपेगैंडा फैलाने जैसे कार्यों के लिए भी इनका इस्तेमाल होता है।