क्या है नासा का लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन? जानिए इसका उद्देश्य
अंतरिक्ष एजेंसी नासा चंद्रमा के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन को लॉन्च करने की योजना बना रही है। इस विशेष अंतरिक्ष मिशन को अगले साल लॉन्च किया जाएगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर मौजूद पानी के रहस्यों के बारे में जानना होगा। वैसे तो वैज्ञानिकों को पता है कि चंद्रमा के सतह पर पानी मौजूद है, लेकिन इसके सटीक स्थान और मात्रा के बारे में इस मिशन के तहत जानने का प्रयास किया जाएगा।
कैसे किया जाएगा पानी का अध्ययन?
इस मिशन के तहत लूनर ट्रेलब्लेजर नामक एक सैटेलाइट को चंद्रमा के करीब भेजा जाएगा, जो ग्रह पर मौजूद पानी का बारीकी से अध्ययन करेगा। कैलटेक की प्रमुख वैज्ञानिक बेथनी एहलमैन के अनुसार, यह सैटेलाइट चंद्र जल की मात्रा और प्रकार को मापकर उसके चक्र को समझने में मदद करेगा। अगर चंद्रमा पर मानव और रोबोट उपस्थिति बनानी है, तो वहां उपलब्ध पानी की जानकारी होना जरूरी है। सैटेलाइट के जरिए चंद्रमा पर पानी के भंडार की पहचान आसान होगी।
मिशन में 2 उपकरण होंगे शामिल
लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन के 2 उपकरण, HVM3 और LTM, चंद्रमा पर पानी का पता लगाएंगे। HVM3 इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर पानी की उपस्थिति का विश्लेषण करेगा, जबकि LTM सतह के तापमान का थर्मल मैप बनाएगा। ये उपकरण चंद्र जल की स्थिति और गति का अध्ययन करेंगे। 200 किलोग्राम का यह सैटेलाइट 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और डाटा इकट्ठा करेगा। लॉन्च से पहले इसके सभी सिस्टम और डीप स्पेस नेटवर्क से संचार का परीक्षण किया जा रहा है।
पानी की गति को समझने में मिलेगी मदद
लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर पानी की गति को समझना है। वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि पानी चंद्रमा की सतह पर गतिशील है या चट्टानों में बंद है। सूर्य की गर्मी से चंद्रमा की सतह पर जमी बर्फ वाष्प में बदल सकती है, जिससे पानी के अणु ठंडे स्थानों की ओर जा सकते हैं। इस गति को ट्रैक कर, लूनर ट्रेलब्लेजर अन्य ग्रहों पर पानी के चक्र को समझने में मदद करेगा।
मिशन संचालन और उद्देश्य
लूनर ट्रेलब्लेजर मिशन को कैलटेक और जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) मिलकर संचालित कर रहे हैं और यह नासा के सिम्प्लेक्स कार्यक्रम का हिस्सा है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर पानी के वितरण का हाई रेजोल्यूशन में मानचित्र बनाना है, जिससे चंद्र जल चक्र को समझने में मदद मिलेगी। इसके परिणाम भविष्य के मिशनों के लिए चंद्रमा पर स्थायी उपस्थिति की योजनाओं में सहायक होंगे और अन्य खगोलीय पिंडों पर जल की उत्पत्ति को समझने में योगदान देंगे।