नासा ने पृथ्वी पर पहली बार खोजा विद्युत क्षेत्र, 60 वर्षों का लगा समय
अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने सबऑर्बिटल रॉकेट से प्राप्त डाटा का उपयोग करते हुए पृथ्वी पर पहली बार विद्युत क्षेत्र की खोज की है। टीम ने पहली बार हमारे ग्रह पर विद्युत क्षेत्र को मापा है, जिसे पृथ्वी के लिए उसके गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय क्षेत्रों जितना ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह खोज बीते 6 दशकों में नासा की कुछ सबसे बडी खोजों में से एक है।
60 साल पहले हुई थी यह परिकल्पना
वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए क्षेत्र को 'एम्बिपोलर विद्युत क्षेत्र' के रूप में जाना जाता है। वैज्ञानिकों ने पहली बार 60 साल पहले पृथ्वी पर ऐसे किसी क्षेत्र की परिकल्पना की थी। नासा के एंड्योरेंस मिशन रॉकेट से माप ने एम्बिपोलर क्षेत्र के अस्तित्व की पुष्टि की है और इसकी ताकत को मापा है, जिससे वायुमंडलीय पलायन को बढ़ावा देने और हमारे आयनमंडल को आकार देने में इसकी भूमिका का पता चला है।
इस तरह शुरू हुई शोध
1960 के दशक में पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से उड़ान भरने वाले अंतरिक्ष यान ने हमारे वायुमंडल से अंतरिक्ष में बहने वाले कणों की धारा का पता लगाया है। सिद्धांतकारों ने इस धारा को 'ध्रुवीय हवा' नाम दिया, जिससे इसके कारणों को समझने के लिए शोध शुरू किया गया। यह ध्रुवीय हवा अधिक रहस्यमय थी। इसके भीतर कई कण ठंडे थे, जिनमें गर्म होने के कोई संकेत नहीं थे, फिर भी वे सुपरसोनिक गति से यात्रा कर रहे थे।
2016 में बना विशेष अंतरिक्ष यान
उस समय की तकनीक से इसका पता लगाना काफी कठिन था, लेकिन 2016 में कोलिन्सन और उनकी टीम ने एक उपकरण का आविष्कार किया, जिसके बारे में उन्हें लगा कि यह पृथ्वी के उभयध्रुवीय क्षेत्र को मापने में सक्षम है। उभयध्रुवीय क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है, जो ऊपरी वायुमंडल में एक कमजोर विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों को अंतरिक्ष में उछाल सकता है। विद्युत क्षेत्र ने हमारे ग्रह के विकास को ऐसे आकार दिया होगा, जिसका अभी तक पता नहीं चला है।