लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे पर होगा 3D AMG टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, क्या है इसका मतलब?
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) पहली बार हाइवे बनाने के लिए 3D ऑटोमेटेड मशीन गाइडेंस (AMG) का इस्तेमाल शुरू करने जा रही है। सबसे पहले इसकी मदद लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे बनाने के लिए ली जाएगी। NHAI की मानें तो इस टेक्नोलॉजी की मदद से हाइवे बनाने की रफ्तार लगभग दोगुनी हो जाएगी। साथ ही इससे जुड़े लोगों और कॉन्ट्रैक्टर्स को उनके फोन और कंप्यूटर पर हाइवे निर्माण से जुड़े अपडेट्स मिलेंगे।
63 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे से होगी शुरुआत
63 किलोमीटर लंबाई वाला कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे 4,200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस प्रोजेक्ट की नींव रखेंगे। 3D AMG टेक्नोलॉजी के साथ तैयार होने वाले इस एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए दिसंबर, 2023 तक की डेडलाइन रखी गई है। इस एक्सप्रेसवे के साथ दोनों शहरों के बीच की दूरी केवल 40 मिनट की रह जाएगी।
क्या है 3D AMG टेक्नोलॉजी?
3D AMG टेक्नोलॉजी 3D इंजीनियर्ड मॉडल्स जैसे सोर्सेज से डाटा जुटाती और इस्तेमाल करती है। इस तरह भूकंप और दूसरी आपदाओं जैसी स्थितियों के लिए उनकी मजबूती तय करते हुए हाइवे निर्माण किया जा सकता है। 3D AMG टेक्नोलॉजी की मदद से सॉफ्टवेयर निर्माण से जुड़े उपकरणों, इसमें लगने वाले सामान और मशीनों के काम करने की रफ्तार से जुड़ी सटीक जानकारी देता है। हाइवे और दूसरे बड़े निर्माण इसकी मदद से आसानी से किए जा सकते हैं।
सैटेलाइट की मदद लेगा AMG सिस्टम
NHAI से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि 3 AMG टेक्नोलॉजी से जुड़े सिस्टम्स को एक कंप्यूटर से इंटीग्रेट किया जाएगा। साथ ही ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सैटेलाइट्स की मदद भी ली जाएगी। ये सैटेलाइट्स एक्सप्रेसवे निर्माण से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करेंगे और इन्हें मशीन्स पर लगाए गए GNSS रिसवर्स पर रिले करेंगे। रियल-टाइम में हाइवे निर्माण की जानकारी तो इनसे मदद से मिलेगी ही, बेहतर मशीनरी का चुनाव भी किया जा सकेगा।
पहले से तैयार किया जाएगा कंप्यूटर मॉडल
लखनऊ-कानपुर के बीच में बनने वाले हाइवे का एक मॉडल कंप्यूटर की मदद से तैयार किया जाएगा। अधिकारी ने बताया, "कंप्यूटर मशीन की पोजीशन और लोकेशन का पता लगा लेते हैं और पहले से तैयार प्रोजेक्ट के कंप्यूटर मॉडल पर इसे लागू कर देखते हैं। ऑपरेटर मशीन में मिलने वाले कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हुए आगे का निर्माण कर सकता है। यह ऑनबोर्ड कंप्यूटर सीधे मशीन हाइड्रोलिक्स से जुड़ा होगा और ऑपरेटर को कम से कम इनपुट्स देने होंगे।"
पहली बार किसी सरकारी प्रोजेक्ट में इस्तेमाल
3D AMG मॉड्यूल का इस्तेमाल कुछ प्राइवेट कंपनियां प्रोजेक्ट्स के लिए करती रही हैं लेकिन इसे बड़े स्तर पर नहीं अपनाया गया है। NHAI की ओर से इस सिस्टम का चुनाव इससे जुड़ी संभावनाएं बढ़ा देता है। अधिकारी ने कहा, "पहले प्रोजेक्ट से मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर आगे भी इसके इस्तेमाल में मदद मिलेगी और बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। इसकी मदद से हाइवे सेक्टर में बड़ा बदलाव आ सकता है।"