भारतीय इंजीनियर की मदद से NASA ने लगाया विक्रम लैंडर का पता
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर का पता लगा लिया है। विक्रम लैंडर को सितंबर में चांद की सतह पर भेजा गया था। इसे 7 सितंबर को चांद की सतह पर लैंड करना था, लेकिन आखिरी वक्त में इसका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया और यह जोर से सतह पर गिरकर टूट गया। NASA ने अपने लुनार रिकेनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के जरिए इसके टुकड़ों का पता लगाया है।
भारतीय इंजीनियर ने की थी NASA की मदद
विक्रम लैंडर का पता लगाने में एक भारतीय इंजीनियर ने NASA की मदद की है। दरअसल, 26 सितंबर को NASA ने 17 सितंबर को ली गई तस्वीरें जारी की थी। इनमें से कुछ तस्वीरें विक्रम के क्रैश होने से पहले की थी और कुछ उसके बाद की। NASA ने लोगों से दोनों तस्वीरों की तुलना कर विक्रम का पता लगाने को कहा था। 33 वर्षीय भारतीय इंजीनियर शान्मुगा शान सुब्रमण्यन ने सबसे पहले यह काम कर दिखाया।
यहां देखिये सुब्रमण्यन के ट्वीट
मलबे का पता लगा सुब्रमण्यन ने किया था NASA से संपर्क
NASA ने कहा कि सुब्रमण्यन ने विक्रम का मलबा मुख्य क्रैश साइट से लगभग 750 मीटर उत्तर पश्चिम की ओर तलाशा है। NASA ने बताया कि सुब्रमण्यन ने मलबे की तलाश कर LRO प्रोजेक्ट से संपर्क किया। जानकारी मिलने के बाद LRO कंट्रोल टीम ने दोनों तस्वीरों की तुलना कर इसकी पुष्टि की। शुरुआती तस्वीरों में इसकी सही जानकारी नहीं मिल रही थी। इसके बाद नवंबर में ली गई तस्वीरों में विक्रम के मलबे का साफ पता चल पाया।
हरे निशान वाले हैं विक्रम के टुकड़े
सुब्रमण्यन ने कैसे तलाशा विक्रम का पता?
इस बारे में जानकारी देते हुए सुब्रमण्यन ने कहा, "मैं अपने लैपटॉप पर दो तस्वीरों की तुलना कर रहा था। एक तरफ विक्रम के क्रैश होने से पहले की तस्वीर थी और दूसरी तरफ उसके बाद की। यह मुश्किल काम था। विक्रम का रास्ता ट्रैक करने में काफी मेहनत लगी।" उन्होंने 3 अक्टूबर को यह काम कर दिया था। इसके बाद NASA ने जांच पूरी कर इसकी आधिकारिक घोषणा अब की है।
चांद पर उतरने की भारत की पहली कोशिश थी चंद्रयान-2
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश की थी। इस मिशन में एक ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को भेजा गया था। ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चांद के चारों ओर चक्कर लगा रहा है, वहीं 7 सितंबर को विक्रम का चांद की सतह पर उतरने से महज 90 सेकंड पहले कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। अब भारत इस असफलता को भूलाकर चंद्रयान-3 मिशन पर काम कर रहा है।
चंद्रयान-3 के लिए तैयार है रोडमैप
भारत चंद्रमा पर अपना तीसरा मिशन भेजने की तैयारियों में जुटा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसकी पुष्टि की है। अभी तक इसकी समयसीमा के बारे में जानकारी नहीं मिली है। माना जा रहा है कि इसे अगले साल के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि ISRO इस मिशन पर चांद की सतह पर उतरने के लिए केवल लैंडर और रोवर भेजेगा। इसके लिए रोडमैप तैयार कर लिया गया है।