अंतरिक्ष में तैनात दुनिया का पहला लकड़ी का सैटेलाइट क्षेत्र में कैसे ला सकता है बदलाव?
क्या है खबर?
दुनिया का पहला लकड़ी का बना सैटेलाइट 'लिग्नोसैट' दिसंबर, 2025 में अंतरिक्ष में तैनात किया गया है।
यह सैटेलाइट जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का है, जिसे क्योटो विश्वविद्यालय और सुमितोमो फॉरेस्ट्री द्वारा विकसित किया गया था।
इसे स्पेस-X ड्रैगन कार्गो कैप्सूल के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजा गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में लकड़ी के उपयोग को जांचना है कि क्या लकड़ी भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक टिकाऊ विकल्प हो सकती है।
खासियत
लिग्नोसैट की खासियत
लिग्नोसैट की विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से होनोकी मैगनोलिया लकड़ी से बना है, जो एक जापानी लकड़ी है।
इसे पारंपरिक लकड़ी जोड़ने की विधि, जापानी लकड़ी-जॉइनरी तकनीक से बिना स्क्रू या गोंद का उपयोग किए तैयार किया गया है। इस सैटेलाइट का वजन मात्र 900 ग्राम है और यह 10 सेमी लंबे लकड़ी के पैनलों से बना है।
यह कक्षा में 6 महीने तक काम करेगा, जिसमें लकड़ी की प्रतिक्रिया और उसकी टिकाऊता का परीक्षण किया जाएगा।
समाधान
अंतरिक्ष मलबे की समस्या का समाधान
इस सैटेलाइट का एक और बड़ा लाभ यह है कि लकड़ी के सैटेलाइट पृथ्वी के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करते समय जलकर नष्ट हो जाएंगे, जिससे अंतरिक्ष मलबे की समस्या कम होगी।
पारंपरिक सैटेलाइट वायुमंडल में दोबारा प्रवेश के दौरान हानिकारक एल्यूमीनियम ऑक्साइड कण छोड़ते हैं, जो वायुमंडल में कई वर्षों तक बने रहते हैं।
इसके विपरीत, लकड़ी का सैटेलाइट पर्यावरण पर कम असर डालता है और इसके जीवनकाल के बाद इसका प्रभाव भी कम होता है।
प्रभाव
भविष्य में अंतरिक्ष खोज के लिए प्रभाव
लिग्नोसैट की सफलता अंतरिक्ष खोज के भविष्य में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
यह संभावित रूप से अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक स्थिर और टिकाऊ सामग्री साबित हो सकती है, खासकर जब लंबे समय तक अंतरिक्ष में जीवन बिताने की बात आती है।
शोधकर्ता इस प्रयोग के परिणामों का उपयोग चंद्र और मंगल ग्रह के भविष्य के मिशनों के लिए तैयारियों में कर सकते हैं, जहां लकड़ी एक पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प हो सकता है।