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    पृथ्वी को इस तरह मिला होगा चंद्रमा, नए अध्ययन ने पुराने सिद्धांत को दी चुनौती
    पृथ्वी को इस तरह मिला होगा चंद्रमा (तस्वीर: नासा)

    पृथ्वी को इस तरह मिला होगा चंद्रमा, नए अध्ययन ने पुराने सिद्धांत को दी चुनौती

    लेखन बिश्वजीत कुमार
    Oct 03, 2024
    10:25 am

    क्या है खबर?

    अंतरिक्ष के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में हाल ही में एक नए सिद्धांत को प्रस्तावित किया है।

    हमेशा से यह माना जाता रहा है कि चंद्रमा का निर्माण लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी और थिया नामक एक छोटे ग्रह के बीच टकराव के दौरान हुआ था।

    हालांकि, नए शोध में दावा किया गया है कि पृथ्वी ने चंद्रमा को कहीं और से अपनी तरफ खींच लिया होगा।

    चुनौती

    ग्रहों की टक्कर के सिद्धांत को चुनौती

    1984 के हवाई कोना सम्मेलन में वैज्ञानिकों के बीच टकराव के सिद्धांत पर सहमति बनी थी, जिसके अनुसार चंद्रमा मलबे से बना था। हालांकि, पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डैरेन विलियम्स और माइकल जुगर के अध्ययन ने इस विचार को चुनौती दी है।

    उनका तर्क है कि अगर चंद्रमा टकराव के मलबे से बना होता, तो उसकी कक्षा पृथ्वी की भूमध्य रेखा के साथ संरेखित होनी चाहिए थी, लेकिन चंद्रमा की कक्षा सूर्य के साथ अधिक सीधी है।

    तर्क

    नए अध्ययन में दिया गया यह तर्क

    विलियम्स और जुगर की बाइनरी-एक्सचेंज कैप्चर थ्योरी के अनुसार, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण ने अंतरिक्ष में 2 वस्तुओं को अलग कर दिया होगा, जिससे चंद्रमा पृथ्वी के पास आ गया और दूसरी वस्तु दूर चली गई।

    इस प्रक्रिया का सौरमंडल में उदाहरण नेपच्यून का चंद्रमा ट्राइटन है, जिसे नेपच्यून ने कुइपर बेल्ट से खींचा था। ट्राइटन की कक्षा का नेपच्यून की भूमध्य रेखा से 67 डिग्री झुकाव इस तरह की कैप्चर घटना का संकेत देते हैं।

    वजह

    पृथ्वी से इतनी दूर कैसे गया चंद्रमा?

    विलियम्स और जुगर के अनुसार, चंद्रमा की कक्षा शुरू में लंबी दीर्घवृत्ताकार थी, जिसे पृथ्वी के ज्वार ने समय के साथ बदलकर वृत्ताकार बना दिया।

    शुरू में ज्वार का प्रभाव कक्षा को स्थिर कर रहा था, लेकिन बाद में यह चंद्रमा को पृथ्वी से दूर धकेलने लगा।

    उन्होंने गणना की कि यह अण्डाकार कक्षा हजारों वर्षों में सिकुड़कर वृत्ताकार हो गई और फिर ज्वारीय विकास के कारण चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जाने लगा, जो अब भी जारी है।

    दूरी

    हर साल पृथ्वी से इतनी दूर जा रहा चंद्रमा 

    विलियम्स ने बताया कि चंद्रमा हर साल पृथ्वी से 3 सेंटीमीटर दूर जाता है और वर्तमान में लगभग 3.85 लाख किलोमीटर की दूरी पर है, जहां वह सूर्य और पृथ्वी से गुरुत्वाकर्षण खिंचाव महसूस करता है।

    नए सिद्धांत के अनुसार, बाइनरी-एक्सचेंज में कैप्चर सैटेलाइट पृथ्वी के चंद्रमा जैसा व्यवहार कर सकता है। हालांकि, विलियम्स ने स्वीकार किया कि यह अंतिम निष्कर्ष नहीं है। चंद्रमा का निर्माण अभी भी रहस्य है और अब उनके पास शोध के लिए 2 संभावनाएं हैं।

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