फेसबुक को सताई आपकी प्राइवेसी की चिंता? डिलीट किया यूजर्स का फेशियल डाटा
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने अपना फेस रेकग्निशन सिस्टम बंद करने का फैसला किया है। यानी कि कई साल से यूजर्स की तस्वीरों से उनके चेहरे का डाटा जुटाने वाली कंपनी उनकी प्राइवेसी की फिक्र करते हुए ऐसा नहीं करेगी। इसके अलावा एक अरब से ज्यादा जिन यूजर्स का डाटा अब तक जुटाया गया है, उसे भी डिलीट कर दिया जाएगा। पैरेंट कंपनी मेटा ने आधिकारिक ब्लॉग पोस्ट में इस बदलाव की जानकारी दी।
लाखों यूजर्स पर पड़ेगा बदलाव का असर
मेटा ने ब्लॉग में लिखा है, "हमारे प्रोडक्ट्स में यूजर्स के फेस रेकग्निशन को सीमित करने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है।" इस शट-डाउन का असर लाखों यूजर्स पर पड़ेगा और उनका चेहरा अपने आप टैग या मार्क नहीं होगा। माना जा रहा था कि जिन यूजर्स का डाटा अब तक कैप्चर किया गया है, उसका इस्तेमाल होता रहेगा लेकिन फेसबुक ने सिस्टम से यूजर्स की पहचान करने वाली फेशियल रेकग्निशन टेम्प्लेट्स डिलीट करने की घोषणा की है।
एक अरब से ज्यादा यूजर्स का फेशियल डाटा डिलीट
मेटा ने बताया है कि फेसबुक के डेली ऐक्टिव यूजर्स में से एक तिहाई ने इसकी फेस रेकग्निशन सेटिंग्स के लिए ऑप्ट-इन किया था। मौजूदा सिस्टम को हटाए जाने का मतलब है कि इन यूजर्स को फेस डिटेक्शन जैसे फीचर्स का फायदा नहीं मिलेगा। फेसबुक को अचानक यूजर्स प्राइवेसी की चिंता होना चौंकाने वाला है क्योंकि कंपनी का रेवन्यू मॉडल ही सीधे यूजर्स के डाटा और उसके इस्तेमाल से जुड़ा है।
यूजर्स के लिए क्या बदलेगा?
ऑटोमैटिक फेशियल रेकग्निशन सिस्टम के साथ अभी अगर कोई यूजर की फोटो या वीडियो पोस्ट करता है, तो उसे नोटिफिकशन नहीं भेजा जाएगा। इसकी मदद से ही कंपनी यूजर्स को टैग करने के लिए रिकमेंडेशंस भी देती है। अब ऐप और वेबसाइट पर यह सिस्टम काम नहीं करेगा और कंपनी मेमोरीज, फोटोज और वीडियोज में दिखने वाले चेहरे नहीं पहचानेगी। सिस्टम से जुड़े बदलाव का असर अगले कुछ सप्ताह में दिखने लगेगा।
इमेज डिस्क्रिप्शन टेक नहीं करेगी काम
ब्लाइंड यूजर्स के लिए इमेज डिस्क्रिप्शंस तैयार करने वाली ऑटोमैटिक आल्ट टेक्स्ट (AAT) टेक्नोलॉजी पर भी इस बदलाव का असर पड़ेगा। ब्लॉग में मेटा ने लिखा, "बदलाव के बाद, AAT इतना जरूर समझ सकेगी कि किसी फोटो में कितने लोग दिख रहे हैं लेकिन फेशियल रेकग्निशन के साथ उनकी पहचान नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा AAT सामान्य रूप से काम करती रहेगी और हम विजुअली इंपेयर्ड कम्युनिटी की टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर इसे बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे।"
क्यों बंद किया गया फेशियल रेकग्निशन सिस्टम?
कई साल तक इस्तेमाल के बाद मेटा ने पाया है कि फेशियल रेकग्निशन सिस्टम के कुछ अपने फायदे और नुकसान हैं। उदाहरण के लिए, यह सिस्टम यूजर्स की पहचान वेरिफाइ करने के काम तो आता ही है, साथ ही इससे फ्रॉड और पहचान की चोरी को रोका जा सकता था। वहीं, इसे यूजर्स की प्राइवेसी के लिए खतरा भी माना जाता है और इसके सुरक्षित होने पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।