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चंद्रयान-3 के हॉप प्रयोग की नहीं थी पूर्व योजना, ISRO ने किया कमाल
चंद्रयान-3 के हॉप प्रयोग की नहीं थी पूर्व योजना

चंद्रयान-3 के हॉप प्रयोग की नहीं थी पूर्व योजना, ISRO ने किया कमाल

लेखन रजनीश
Oct 03, 2023
06:04 pm

क्या है खबर?

भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद मिशन ने पहले से निर्धारित अपने प्रयोगों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। चांद की सतह पर इसने कुछ बड़ी खोज और प्रयोग भी किए। चंद्रयान-3 मिशन के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बड़ा प्रयोग हॉप परीक्षण किया। अब प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरमुथुवेल ने चंद्रयान-3 मिशन के हॉप परीक्षण से जुड़ी जानकारी दी है।

इंटरव्यू

एक चंद्र रात्रि के लिए था मिशन

वीरमुथुवेल ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि चंद्रयान-3 मिशन ने अपने उद्देश्यों को पूरा कर लिया है। उनके मुताबिक, मिशन को एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन) तक चांद पर अध्ययन करना था। इसके बाद चांद पर सूर्यास्त होने (चंद्र रात्रि) आने पर वहां का तापमान -152 से -170 डिग्री तक गिर जाता है। इतनी ठंड में उपकरणों का सही बने करना कठिन हो जाता है।

मिशन

पहले से नहीं निर्धारित था हॉप प्रयोग

प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने यह भी कहा, " हमारे पास परमाणु संसाधन नहीं है और हम लैंडर और रोवर के पावर के लिए पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर थे।" उन्होंने इस मिशन के सबसे बेहतरीन प्रयोगों में से एक विक्रम लैंडर के हॉप प्रयोग का जिक्र करते हुए बताया कि यह पहले से निर्धारित नहीं था। उनके मुताबिक, मिशन के पूरा होने के अंतिम दिनों में हॉप प्रयोग करने का फैसला लिया गया और यह सफल रहा।

हॉप

हॉप प्रयोग से खुल सकते हैं वापसी मिशनों के अवसर

वीरेमुथुवेल के मुताबिक, हॉप प्रयोग से भविष्य के वापसी मिशनों के अवसर खुल सकते हैं। उनके मुताबिक, हॉप प्रयोग ऑटोनॉमस नहीं था और इसके लिए सॉफ्टवेयर को दोबारा प्रोग्राम किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि लंबे समय तक काम करने वाले मिशन के लिए लिए काम करने की जरूरत है और इससे जुड़े कुछ काम जारी भी हैं। चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर की स्लीप मोड से उठने की संभावना भी समय के साथ कम हो गई है।

प्लस

न्यूजबाइट्स प्लस

14 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था और 23 अगस्त को चांद की सतह पर इसकी लैंडिंग हुई। इसके साथ ही रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर लैंड करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 ने चांद पर सल्फर की मौजूदगी का पता लगाया है। यह बड़ी खोज मानी जा रही है। इसके अलावा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान का अनुमान लगाने सहित कुछ अन्य डाटा इकट्ठा किया हैं।