चांद की सतह पर उतरने को तैयार भारत, 'डरावने 15 मिनटों' में रचा जाएगा इतिहास
आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने के डेढ़ महीने बाद चंद्रयान-2 चांद की सतह पर कदम रखने को तैयार है। लगभग 3,84,000 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम आज रात चांद की सतह पर उतरेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख इस प्रकिया को '15 सबसे डरावने मिनट' बता रहे हैं। इन 15 मिनटों के दौरान यह चांद की सबसे निचली कक्षा से उतरकर चांद के दक्षिणी ध्रुव में लैंड करेगा।
सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कम की जाएगी विक्रम की गति
ऑर्बिटर से अलग हो चुका विक्रम लैंडर फिलहाल चांद की सतह से 35 किलोमीटर ऊपर उसकी सबसे निचली कक्षा में है। शनिवार रात लगभग 1:30 मिनट पर विक्रम छह किमी प्रति सेकंड यानी 21,600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सफर कर रहा होगा। इसके 15 मिनट बाद इसकी गति को कम कर दो मीटर प्रति सेकंड यानी लगभग सात किमी प्रति घंटा किया जाएगा ताकि यह चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सके।
इतिहास रचने के करीब भारत
अगर ISRO की यह कोशिश कामयाब रहती है तो भारत चांद की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाएगा। अभी तक चीन, अमेरिका और रूस ही यह कारनामा कर पाए हैं।
इजरायल की कोशिश हुई थी नाकाम
अभी तक चंद्रयान-2 का सफर सुखद रहा है, लेकिन इसकी लैंडिंग से पहले के 15 मिनट काफी अहम रहने वाले हैं। पांच महीने पहले इजरायल ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की थी, लेकिन यह कामयाब नहीं हो सकी। इस मिशन पर भेजा गया स्पेसक्राफ्ट अपनी गति कम नहीं कर पाया और लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया। अभी तक चांद पर भेजे गए कुल 109 मानव, लैंडर और रोवर मिशन में से 41 असफल हुए हैं।
पिछले तीन दशकों में सिर्फ इजरायल को नहीं मिली कामयाबी
इन असफलताओं के बीच राहत की भी किरणें हैं। 1990 के दशक में चांद पर जाने की कोशिशों के दोबारा शुरू होने के बाद केवल इजरायल को इस पर उतरने में असफलता मिली है। चीन ने तीन बार ऐसी सफल कोशिशें की हैं।
विक्रम लैंडर में है सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम
ISRO ने विक्रम को सफलतापूर्वक लैंड कराने के लिए उसमें सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए हैं। विक्रम की गति को कम करने के लिए इसमें लगे चार थ्रस्टर्स इसकी गति की दिशा में ईंधन फायर करेंगे। इसमें एक प्रोपल्शन सिस्टम लगा है जो तय तरीके से काम करेगा। अगर इन थ्रस्टर्स में कोई काम नहीं करता है तो सुरक्षा के लिए पांचवा थ्रस्टर भी लगाया गया है। साथ ही इसकी टांगों को भारी झटके सहने के काबिल बनाया गया है।
सुरक्षित और समतल जगह देखकर लैंड करेगा विक्रम
जब विक्रम चांद की सतह से लगभग 100 मीटर ऊपर होगा, तब यह एक चक्र लगाएगा। यह एक समतल सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। विक्रम यह पता लगा सकेगा कि वहां पर कोई पत्थर या कंकर नहीं है। अगर सब कुछ सही रहा है तो वह लैंड करेगा। अगर लैंडिंग की उस जगह कोई समस्या आती है तो विक्रम कुछ मीटर आगे-पीछे जाकर सुरक्षित जगह पर लैंड करेगा ताकि उसकी चारों टांगों समतल जगह पर टिके।
14 दिन तक काम करेंगे विक्रम और प्रज्ञान
लैंडिंग के लगभग तीन घंटे बाद विक्रम में रखा प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा। यह चांद की सतह का अध्ययन करने के लिए इस पर चक्कर लगाएगा। प्रज्ञान में दो इंस्ट्रूमेंट रखे हैं और यह एक सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चलेगा। यह चांद की सतह के तत्व और वहां मौजूद खनिज पदार्थों का पता लगाएगा। यह अपना डाटा विक्रम को भेजेगा, जो इसे बेंगलुरू स्थित इसके कंट्रोल रूम पर भेजेगा। विक्रम और प्रज्ञान दोनों 14 दिन तक काम करेंगे।