#NewsBytesExplainer: राहुल गांधी को किस मामले में हुई सजा और क्या उनकी संसद सदस्यता चली जाएगी?
क्या है खबर?
गुरुवार को सूरत की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को मानहानि मामले में दोषी करार दिया। उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई है और 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि, राहुल को 30 दिन के लिए जमानत मिल गई है।
ये मामला 2019 लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल के एक बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
आइए पूरा मामला समझते हैं।
मामला
क्या है पूरा मामला?
राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 11 अप्रैल को कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है।
उन्होंने कहा था, "नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी... ऐसा कैसे हैं कि इन सभी का सरनेम मोदी है? सभी चोरों को सरनेम मोदी क्यों होता है?"
इस बयान के खिलाफ 13 अप्रैल को सूरत में मानहानि का केस दर्ज हुआ था।
बैकग्राउंड
किस पृष्ठभूमि में दिया था राहुल ने ये बयान?
राहुल का ये बयान देश में लोकसभा चुनावों के दौरान दिया गया था। उस वक्त वे प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को राफेल विमान सौदे को लेकर घेर रहे थे। उन्होंने मोदी पर सौदे में अनिल अंबानी को शामिल करके भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था।
सितंबर, 2019 में भी प्रधानमंत्री मोदी को 'चोरों का सरदार' कहा था। इस बयान के लिए भी उन पर मुकदमा हुआ था।
लोकसभा चुनावों से पहले राहुल पर मानहानि के पांच अलग-अलग मुकदमे हुए थे।
शिकायत
राहुल के खिलाफ किसने की मानहानि की शिकायत?
मानहानि का ये मामला सूरत पश्चिम से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की शिकायत पर दर्ज किया गया था। पूर्णेश का कहना था कि राहुल ने मोदी सरनेम के जरिये पूरे समाज को चोर कहा था और इससे मोदी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
पूर्णेश भूपेंद्र पटेल सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे। वे दिसंबर, 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनावों में सूरत पश्चिम से कांग्रेस के संजय शाह को हराकर विधायक चुने गए हैं।
पेशी
मामले में कब क्या हुआ?
6 मई, 2019 को मामला सूरत की कोर्ट में पहुंचा। इस मामले में पहली बार राहुल गांधी 16 जुलाई, 2019 को कोर्ट के सामने पेश हुए। इस दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए आगे की पेशियों में व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी।
10 दिसंबर, 2019 को राहुल दूसरी और 29 अक्टूबर, 2021 को तीसरी बार कोर्ट में पेश हुए थे। 17 मार्च, 2023 को कोर्ट ने सभी दलीलों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
धारा
कोर्ट ने राहुल को किन धाराओं के तहत दोषी पाया है?
कोर्ट ने राहुल को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत दोषी पाया है। धारा 499 में मानहानि के प्रावधानों का जिक्र है, वहीं धारा 500 में मानहानि के लिए सजा का प्रावधान है।
धारा 500 के तहत मानहानि का दोषी साबित होने पर अधिकतम 2 साल की सजा, जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है। राहुल को इसी धारा के तहत 2 साल की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
सदस्यता
सांसद की सदस्यता रद्द होने पर क्या कहता है कानून?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक, किसी संसद सदस्य की सदस्यता दो तरह के मामलों में रद्द की जा सकती है।
पहला, जन प्रतिनिधि जिस अपराध के तहत दोषी पाया गया है, वो अपराध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) में दर्ज हो। इसमें समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाने और रिश्वत लेने जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
दूसरा, जन प्रतिनिधि को किसी मामले में दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई गई हो। राहुल दूसरी श्रेणी में आते हैं।
आदेश
...तो क्या चली जाएगी राहुल की सदस्यता?
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) के मुताबिक, संसद सदस्यता फैसला आने के तीन महीने बाद ही रद्द की जा सकती है। इस दौरान राहुल गांधी उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
हालांकि, 2013 के 'लिली थॉमस बनाम भारत सरकार' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 8(4) को ही रद्द कर दिया था। इसका मतलब है कि राहुल गांधी को केवल उच्च न्यायालय में अपील दाखिल ही नहीं करनी होगी, बल्कि सूरत कोर्ट के फैसले पर रोक भी लगवानी होगी।
विकल्प
राहुल के पास अब आगे क्या विकल्प हैं?
राहुल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। इसके लिए उनके पास 30 दिन का समय है। राहुल के वकील ने कहा भी है कि वे फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
हाई कोर्ट भी राहुल की सजा को बरकरार रखता है तो वे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। यहां अगर सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो राहुल की संसद सदस्यता चली जाएगी और वो अगले 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।