बिहार विधानसभा चुनाव: पहले चरण में 71 सीटों पर वोटिंग जारी, 2.15 करोड़ लोग डालेंगे वोट
बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग शुरू हो गई है और आज पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर वोटिंग जारी है। इस चरण में लगभग 2.15 करोड़ वोटर्स विभिन्न पार्टियों के 1,066 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इन वोटर्स में 1.12 करोड़ पुरुष, 1.01 करोड़ महिलाएं औऱ 599 थर्ड जेंडर के हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण वोटिंग के समय को बढ़ाया गया है और सुबह 7 बजे शुरू हुई ये वोटिंग शाम 6 बजे तक चलेगी।
संक्रमण से बचाव के लिए लागू की गई हैं ये गाइडलाइंस
बता दें कि कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद ये भारत में पहले चुनाव हैं और चुनाव आयोग ने संक्रमण से बचाव के लिए कड़ी गाइडलाइंस जारी की हैं। एक पोलिंग बूथ पर वोटर्स की संख्या को 1,600 से घटाकर 1,000 कर दिया गया है, वहीं 80 साल से अधिक उम्र के लोगों को पोस्टल बैलेट की सुविधा दी गई है। इसके अलावा हर वोटर की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। फेस मास्क, सैनिटाइजेशन आदि की व्यवस्था भी की गई है।
3 नवंबर को दूसरे और 7 नवंबर को तीसरे चरण की वोटिंग
बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण की वोटिंग 3 नवंबर को और तीसरे चरण की वोटिंग 7 नवंबर को होगी। दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों और तीसरे चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर वोटिंग होगी। नतीजे 10 नवंबर को आएंगे।
NDA और महागठबंधन के बीच है मुकाबला
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच है। NDA की तरफ से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं और वे चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की जुगत में लगे हुए हैं। वहीं महागठबंधन ने लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।
क्या हैं चुनाव के मुख्य मुद्दे और वादे?
अभी बिहार विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है और इसलिए ज्यादातर पार्टियों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में बंपर नौकरियों का वादा किया है। RJD ने सबसे पहले उसकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख सरकारी नौकरियों को मंजूरी देने का वादा किया था। इसके बाद भाजपा ने भी अपने घोषणापत्र में 19 लाख नौकरियां पैदा करने का वादा कर दिया। कोरोना वायरस महामारी और मजदूरों का गुस्सा भी बड़े मुद्दे हैं।
अकेले पड़ते हुए नजर आ रहे हैं नीतीश कुमार
NDA का चेहरा होने के बावजूद नीतीश चुनाव में अकेले पड़ते हुए नजर आ रहे हैं और सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को छोड़कर अन्य किसी बड़े भाजपा नेता ने JDU के उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं किया है। दोनों पार्टियों के पोस्टर्स पर भी एक-दूसरे का जिक्र नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) प्रमुख चिराग पासवान के NDA से अलग होने और नीतीश पर लगातार हमले करने के पीछे भी भाजपा को माना जा रहा है।
तेजस्वी की रैलियों में भीड़ ने बढ़ाई नीतीश की झुंझलाहट
महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव की रैलियों में आती भीड़ और 10 लाख नौकरियों के उनके वादे पर लोगों के उत्साह ने भी नीतीश कुमार की झुंझलाहट को बढ़ाया है और इसका असर उनके भाषणों में भी दिख रहा है। कभी अपने शांत स्वभाव के लिए चर्चित रहे नीतीश इस चुनाव में तेजस्वी और अन्य नेताओं पर व्यक्तिगत हमला करने से भी पीछे नहीं हटे हैं। इसके अलावा वे रैलियों में लोगों पर गुस्सा करते हुए भी नजर आए हैं।