विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस: जानिए इसका इतिहास, महत्व और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
हर साल 1 अगस्त को विश्व लंग (फेफड़े) कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य घातक बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और दुनियाभर की सरकारों से इसके खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करके हर साल होने वाली मौतों को रोकना है।
फेफड़े का कैंसर दुनियाभर में कैंसर का सबसे आम रूप है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इससे अकेले 2022 में 1 लाख से अधिक मौतें हुईं।
आइए आज दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
इतिहास
साल 2012 में इस दिवस को लेकर चलाया गया था अभियान
विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस के अभियान ने साल 2012 में सुर्खियां बटोरीं।
यह अभियान इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर और अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के सहयोग से फोरम ऑफ इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज द्वारा आयोजित किया गया था।
तब से फेफड़ों के कैंसर के बारे में जागरूकता में तेजी आई और तब से 1 अगस्त को विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस मनाया जा रहा है।
महत्व
इस दिवस को मनाना क्यों महत्वपूर्ण है?
साल 2022 में फेफड़ों के कैंसर के 1,03,371 मामले होने का अनुमान लगाया गया था।
फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान करने वालों को सबसे अधिक प्रभावित करता है और फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित 80 प्रतिशत से अधिक लोग अक्सर धूम्रपान करते हैं।
ऐसे में इस घातक कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक दिन समर्पित करना महत्वपूर्ण है ताकि प्रारंभिक चरण में इसका निदान किया जा सके।
लक्षण
फेफड़ों के कैंसर की ओर इशारा करते हैं ये लक्षण
इस बीमारी के लक्षण पहले दिखाई देने लगते हैं, लेकिन कई लोग उन्हें आम शारीरिक समस्या समझकर नजरअंदाज करते रहते हैं और जब उन्हें इसका पता चलता है, तब तक बीमारी काफी गंभीर हो चुकी होती है।
इसमें लंबे समय तक खांसी बने रहना, सांस लेने में तकलीफ होना, छाती में दर्द होना और गले में तरह-तरह के बदलाव होना आदि शामिल हैं।
अगर आप खुद में ये लक्षण महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इलाज
फेफड़ों के कैंसर का इलाज
अगर लक्षणों को नजरअंदाज न किया जाए और डॉक्टरी जांच को प्राथमिकता दी जाए तो इस घातक बीमारी का इलाज संभव है।
शुरूआती चरण के फेफड़ों के कैंसर वाले रोगियों के लिए इलाज की दर 80 से 90 प्रतिशत तक हो सकती है।
जब किसी को फेफड़ों का कैंसर होता है तो उसे लगता है कि अब मौत निश्चित है, लेकिन सही उपचार से इस बीमारी का सामना किया जा सकता है।