बांसुरी से लेकर शहनाई तक, शास्त्रीय संगीत में मुंह से बजाए जाने वाले प्रसिद्ध वाद्य यंत्र
क्या है खबर?
भारत के शास्त्रीय संगीत में जितना महत्व सुरों का होता है, उतनी ही अहमियत वाद्य यंत्रों की भी होती है।
देश में मुंह से बजाए जाने वाले कई वाद्य यंत्र हैं, जिनकी लोकप्रियता विश्वभर में फैल चुकी है।
ये पारंपरिक संगीत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का बखान करते हैं और गीतों को और मधुर बना देते हैं।
आइए आज के लेख में हम लोक संगीत के मुंह से बजाए जाने वाले 5 प्रसिद्ध वाद्य यंत्रों के बारे में जानते हैं।
#1
बांसुरी
बांसुरी को भारत में केवल एक वाद्य यंत्र की तरह नहीं देखा जाता, बल्कि इसे पूजनीय माना जाता है। इसकी वजह यह है कि यह भगवान कृष्णा की पसंदीदा हुआ करती थी, जिसे वह रोजाना बजाया करते थे।
यह बांस से बना एक पारंपरिक वाद्य यंत्र होता है, जिसमें कई छेद बने होते हैं। इसमें फूंककर हवा अंदर छोड़ी जाती है, जिससे मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है।
इसके छेदों पर उंगलियां रखकर सुर बदले जा सकते हैं।
#2
शहनाई
शहनाई का आविष्कार 17वीं शताब्दी में नूर्नबर्ग के एक जर्मन वाद्य यंत्र निर्माता जोहान क्रिस्टोफ डेनर ने किया था।
हालांकि, आज के समय में यह भारतीय संगीत का बेहद अहम हिस्सा बन चुकी है।
यह वाद्य यंत्र लकड़ी से बना होता है और इसके एक सिरे पर दोहरी रीड और दूसरे सिरे पर धातु या लकड़ी की घंटी लगी होती है।
इसे खास तौर से शादियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बजाया जाता है।
#3
मोरचंग
मोरचंग धातु से बना एक वाद्य यंत्र होता है, जिसे मुख्य रूप से राजस्थान, दक्षिण भारत और सिंध में बजाया जाता है।
इसे मुंह से बजाया जाता है और इसमें धातु की एक जीभ बनी होती है, जिसे उंगलियों से झटककर ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
मोरचंग को अक्सर 'मोर' या 'मोर के सिर' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका आकार बिलकुल मोर के सिर जैसा ही लगता है।
#4
बीन
बचपन में सभी के घर के बाहर सपेरे आया करते थे, जिनके हाथों में एक बीन हुआ करती थी। इस बीन की ध्वनि को सुनकर सांप नृत्य करना शुरू कर देते थे।
इस मुंह से बजाए जाने वाले वाद्य यंत्र में 2 बांस की नालियां होती हैं और इसका बीच का हिस्सा थोड़ा गोल और मोटा होता है।
इस वाद्य यंत्र को पुंगी, महुडी और तुंबी जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।
#5
अल्गोजा
अल्गोजा भी एक भारतीय लोक वाद्य यंत्र है, जो 2 बांसुरी से बना होता है। इन दोनों बांसुरियों को एक साथ ही बजाया जाता है।
यह वाद्य यंत्र मुख्य रूप से राजस्थान, पंजाब और सिंध में मशहूर है। इसमें जो बांसुरियां होती हैं, उन्हें या तो एक साथ बांध दिया जाता है या एक साथ पकड़कर बजाया जाता है।
इसका प्रयोग लोक संगीत समारोहों, धार्मिक कार्यक्रमों और उत्सवों में किया जाता है।