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वैज्ञानिकों ने खोजा नया रंग, जानें क्या है नाम और कैसे की खोज 
वैज्ञानिकों ने खोजा नया रंग (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वैज्ञानिकों ने खोजा नया रंग, जानें क्या है नाम और कैसे की खोज 

लेखन अंजली
Apr 22, 2025
02:57 pm

क्या है खबर?

रंग प्रकाश और हमारी आंखों के बीच की एक धारणा है, जो हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा है। ये विभिन्न भावनाएं पैदा कर सकते हैं इसलिए छोटी उम्र से ही बच्चों को रंगों की पहचान करवाई जा सकती है। रंगों से जुड़ी एक और बात सुर्खियां बटोर रही है कि हाल ही में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए रंग की खोज की है, जिसे इंसानों ने पहले कभी नहीं देखा है। आइए इसके बारे में जानें।

रंग

क्या है रंग का नाम?

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित इस खोज के शोधकर्ताओं ने रंग को नीला-हरा बताया है और इसका नाम 'ओलो' रखा है। केवल पांच लोगों ने इस रंग को देखा है, जिन्होंने इसे मोर के नीले रंग जैसा बताया है, जो कि बहुत अनोखा है। इस रंग की खोज के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की आंखों में खास कोशिकाओं को लक्षित करने के लिए लेजर पल्स का इस्तेमाल किया।

तरीके

वैज्ञानिकों ने नए रंग का कैसे पता लगाया?

इंसानों की आंखें तीन प्रकार (लंबी, मध्यम और छोटी) की शंकु कोशिकाओं का इस्तेमाल करके रंग का पता लगाती है, जो लाल, हरे और नीले प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं अमूमन ये शंकु एकसाथ काम करके इंसानों के दिमाग में विभिन्न रंगों का निर्माण करते हैं। हालांकि, इंसानों द्वारा देखे जाने वाले रंगों की सीमा सीमित थी। इसे बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं ने लेजर तकनीक और आई-ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया तो उन्हें नीला- हरा रंग मिला।

बयान

खोजे गए रंग के आगे सारे अन्य रंग फीके- ऑस्टिन रूर्डा

शोधकर्ता टीम से जुड़े आंखों के वैज्ञानिक ऑस्टिन रूर्डा ने कहा, "कोई भी लेख और मॉनिटर उस रंग के बारे में ठीक से नहीं बता सकता है। हम जो रंग देखते हैं, वह इसका एक संस्करण है, लेकिन यह ओलो के अनुभव की तुलना में बिल्कुल फीके हैं।" उन्होंने आगे कहा कि इस रंग को सामान्य आंखों से देखना मुश्किल है। इसके लिए एडवांस तकनीकों की जरूरत है।

निष्कर्ष

वैज्ञानिक ने बताई खोज की विधि

वैज्ञानिक नए रंग की खोज की विधि को 'ओज' कहते हैं, जो रेटिना में अलग-अलग कोशिकाओं को नियंत्रित करके रंग इमेजरी प्रदर्शित करने का एक नया सिद्धांत है। खोज के परिणामों को इस अवधारणा के प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है कि इंसान की आंखों को अपनी प्राकृतिक सीमाओं से परे रंगों को देखने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। अभी तक पांच लोगों ने ओलो देखा है, लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक ये सिर्फ शुरूआत है।