क्या महाभारत से जुड़े इन अनसुने किस्सों के बारे में जानते हैं आप?
हिन्दू धर्म में महाभारत को पांचवा वेद माना जाता है। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की है। इसी महाकाव्य से भगवद् गीता का उद्गम हुआ है। महाभारत में समाज से संबंधित बहुत सी घटनाएं, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के कई रहस्य छिपे हुए हैं। महाभारत योद्धाओं की गाथाओं के लिए ही नहीं बल्कि इससे जुड़े श्राप, वचन और आशीर्वाद के कारण भी बेहद प्रसिद्ध है। आइए इससे जुड़े कुछ अनसुने किस्सों के बारे में जानते हैं।
महाभारत ग्रंथ की हुई अनोखी शुरूआत
महाभारत ग्रंथ की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी, लेकिन इसका लेखन भगवान गणेश ने किया था। भगवान गणेश ने यह लेखन एक शर्त के कारण किया था। वहीं, बहुत समय पहले तक महाभारत को इस नाम से नहीं जाना जाता था। यह मूल रूप से जयम उसके बाद जया के रूप में जाना जाता था, फिर अंत में महाभारत कहा गया। इसके अलावा, महाभारत के मूल संस्करण को 'जय संहिता' नाम दिया गया था।
कौरवों और पांडवों के जन्म के किस्से
आमतौर पर लोगों का मानना है कि धृतराष्ट्र के 100 पुत्र थे, जो गलत है क्योंकि धृतराष्ट्र 101 पुत्रों के पिता थे। इनमें से उनके सबसे बड़े बेटे का नाम दुर्योधन नहीं बल्कि युयुत्सु था, लेकिन युयुत्सु को जन्म देने वाली मां गंधारी नहीं धृतराष्ट्र की वैश्य नामक दासी थीं। इसके अलावा पांचों पांडव किसी न किसी देवता के पुत्र थे। युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन कुंती पुत्र थे। वहीं, नकुल और सहदेव पांडु की दूसरी पत्नी माद्री के पुत्र थे।
महाभारत युद्ध की अनसुनी बातें
क्या आप जानते हैं कि महाभारत काल में 18 संख्या बहुत महत्व था क्योंकि गीता में 18 अध्याय हैं, कौरवों और पांडवों की सेना 18 अक्षोहिनी सेना थी। इतना ही नहीं, महाभारत युद्ध भी 18 दिन तक चला था। वहीं, हस्तीनापुर के प्रधानमंत्री विदुर यमराज के अवतार थे जो एक महान ज्ञाता थे। दरअसल, ऋषि मंदव्य के श्राप के कारण उन्हें मनुष्य योनी में जन्म लेना पड़ा था।
महाभारत युद्ध की अनसुनी बातें
बहुत ही कम लोगों को यह बात मालूम है कि धृतराष्ट्र उस जगह मौजूद नहीं थे जहां महाभारत युद्ध हो रहा था, फिर भी उनके वो सब पता था, जो युद्ध के दौरान चल रहा था क्योंकि धृतराष्ट्र के सारथी संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान मिला था, जिसके जरिए उन्होंने महाभारत के युद्ध का धृतराष्ट्र को वर्णन किया। वहीं, महाभारत में अभिमन्यु के मौत का कारण बने चक्रव्यूह की रचना कौरवों और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य ने की थी।
महाभारत के अन्य रोचक तथ्य
महाभारत में एकलव्य का पुनर्जन्म द्रौपदी के जुड़वा भाई धृष्टद्युम्न के रूप में हुआ था। दरअसल, रुक्मणी के अपहरण के दौरान कृष्ण ने उन्हें मार डाला था। इसलिए, गुरु दक्षिणा के तौर पर कृष्ण ने उन्हें पुनर्जन्म लेने और द्रोणा से बदला पूरा करने का वरदान दिया था। आमतौर पर लोग छह-पक्षीय पासे के बारे में जानते हैं, लेकिन जिस पासे से शकुनी ने पांडवों को चौसर के खेल में हराया था, वो पासे चार पक्षीय था।