अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: क्यों मनाया जाता है यह और क्या है इसका महत्व?
'साथी हाथ बढ़ाना...एक अकेला थक जाएगा मिल कर बोझ उठाना' साहिर लुधियानवी द्वारा लिखी गई यह कविता मजदूरों की मेहनत को बायां करती है। आज हम आपको यह इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है जो हर साल 1 मई को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों को सम्मान और हक दिलाना है। आइए जानें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है।
क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस?
1 मई, 1886 में इस दिवस की शुरूआत अमेरिका में एक क्रांति के रूप में हुई थी, जब हजारों मजदूरों ने सड़कों पर आकर लगातार 10-15 घंटे काम कराए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उस समय वहां की सरकार ने मजदूरों पर गोलियां चलवा दी थी, जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई थी। इसके बाद 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक के दौरान हर साल की 1 मई को मजदूर दिवस घोषित किया गया।
भारत में इस तरह हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1 मई, 1923 को चेन्नई में मनाया गया। इस दिवस के महत्व को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता सिंगरावेलू चेट्यार उजागर किया था जब मद्रास हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया। इसके बाद एक संकल्प पास करके यह सहमति बनाई गई कि अब से हर साल 1 मई को भारत में भी मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन मजदूरों की छुट्टी होगी।
मजदूरों की मेहबानी से मजदूर दिवस को मिला महत्व
दरअसल, इस दिन को इतना महत्व देने का कारण यह है कि मजदूर दुनिया के विकास की रीढ़ हैं। आज दुनिया की जिस चमक पर सबको गर्व हैं, ये सब मजदूरों की मेहनत का ही फल है। मजदूरों ने ही अपने खून पसीने से दुनिया को ये आधुनिक चमक दी है। अगर मजदूर न होते तो शायद ये चमक भी न होती। इस वजह से मजदूर दिवस पर कामगारों की मेहनत को याद करते हुए उन्हें धन्यवाद करना चाहिए।