बच्चों को इस तरह से करें हेल्दी खाने की आदत के लिए प्रेरित
एक सफल जीवन के लिए अच्छी आदतों का होना बेहद जरूरी है, इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को शुरू से ही अच्छी आदतों का पालन करना सिखाएं। इनमें कई सारी चीजें शामिल हैं लेकिन हेल्दी खाने की आदत को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित है। आइए जानें कि आप अपने बच्चों के हेल्दी खाने की आदत के लिए किस तरह से प्रेरित कर सकते हैं।
बच्चों को दें पौष्टिक आहार की जानकारी
बच्चों को हेल्दी खाने के लिए प्रेरित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों को पौष्टिक आहार के बारे में जानकारी दी जाए। बच्चों को बताएं कि कौन-सा आहार उनके लिए अच्छा है और उन्हें बताए कि स्वस्थ आहार खाने से ताकत मिलती है जिसके कारण वे दोस्तों के साथ ज्यादा देर तक खेल-कूद सकते हैं। इसी के साथ घर में ज्यादा से ज्यादा हरी-सब्जियां और फल रखें ताकि बच्चे समझ सकें कि ये स्वस्थ आहार हैं।
बच्चों को अच्छे से खाने के लिए करें प्रेरित
खाना जल्दी खत्म करने के चक्कर में बच्चे जल्दी-जल्दी खाने लगते हैं। ऐसे में उन्हें धीरे-धीरे और खाने को अच्छे से चबाकर खाने की सलाह दी जानी चाहिए। अच्छी तरह से चबाकर खाने से भोजन के पौष्टिक तत्व ठीक प्रकार मिल पाएंगे और पाचन क्रिया भी सही बनी रहेगी। साथ ही बच्चे को खाने के लिए पूरा समय दें ताकि वो अपना खाना अच्छी तरह और आराम से खत्म कर सके।
बच्चों के साथ बैठकर खाएं खाना
खाने का कोई एक समय निर्धारित करके बच्चों और घर के अन्य सभी सदस्यों के साथ खाना खाएं। खाते समय बच्चों के साथ थोड़ी मौज-मस्ती और पौष्टिक खाने से संबंधित सवाल-जवाब करें। ध्यान रहे कि इस दौरान बच्चों को किसी बात को लेकर डांटे नहीं। डांटने से हो सकता है कि बच्चे दबाव में आ जाएं या डर जाएं, जिसका गलत असर न सिर्फ उनके शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।
फल-सब्जियां खरीदने के लिए बच्चों को साथ लेकर जाएं
जब भी आप फल-सब्जियों को खरीदने जाएं तो बच्चों को भी साथ ले जाएं। इससे वो नई-नई चीजों को देखेंगे और उनके बारे में सीखेंगे। इसके अलावा चीजें खरीदते समय चुने हुए खाद्य पदार्थों के बारे में बच्चों को जानकारी दें। साथ ही कभी-कभी बच्चों को भोजन बनाने में हल्के-फुल्के सहयोग के लिए भी बुलाएं या उनसे पूछें कि वो कौन-सी सब्जी खाना पसंद करेंगे। इन गतिविधियों से बच्चों में आत्मनिर्भरता का भी विकास होगा।