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गणतंत्र दिवस: जानिए 26 जनवरी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य

गणतंत्र दिवस: जानिए 26 जनवरी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य

लेखन अंजली
Jan 25, 2021
06:45 am

क्या है खबर?

देशभर में 26 जनवरी को 72वें गणतंत्र दिवस की तैयारियां जोरों पर हैं और यकीनन हर बार की तरह इस बार भी इस राष्ट्रीय त्योहार का जश्न काफी जोश और सम्मान के साथ मनाया जाएगा। हालांकि इस जश्न से अलग गणतंत्र दिवस से जुड़े कई ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को कोई जानकारी नहीं है। आज हम आपको गणतंत्र दिवस से जुड़े ऐसे ही कुछ तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।

#1

26 जनवरी को होती है 'पूर्ण स्वराज दिवस' की जयंती

शायद आप इस बात से वाकिफ न हों, लेकिन 26 जनवरी को 'पूर्ण स्वराज दिवस' की जयंती भी होती है क्योंकि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज यानी ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसके बाद 26 जनवरी, 1950 को 10:18 बजे भारत गणराज्य बना और करीब छह मिनट बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने राष्ट्रपति भवन के हॉल में गणराज्य के पहले राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण की।

जानकारी

हाथ से लिखी संविधान की दो प्रतियां संसद की लाइब्रेरी में सुरक्षित

यकीनन इस बात से बहुत से लोग अनजान होंगे कि संविधान की हाथ से लिखी दो प्रतियां आज भी संसद की लाइब्रेरी में संभालकर रखी हुई हैं। इनमें हिंदी और अंग्रेजी की एक-एक प्रतियां हैं।

#3

राजपथ पर नहीं हुई थी गणतंत्र दिवस की पहली परेड

26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड राजपथ की बजाय तत्‍कालीन इर्विन स्‍टेडियम (अब नेशनल स्‍टेडियम) में हुई थी। उस वक्‍त इर्विन स्‍टेडियम के चारों तरफ चार दीवारी नहीं थी और इसके पीछे लाल किला साफ नजर आता था। हालांकि अब देश में राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड आयोजित होती है जो आठ किलोमीटर की होती है। यह परेड रायसीना हिल से होकर पहले राजपथ, फिर इंडिया गेट जाती है और लाल किले पर समाप्‍त होती है।

#4

पहली बार दी गई थी 31 तोपों की सलामी

26 जनवरी, 1950 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति भवन से छह घोड़ों वाली बग्गी में बैठकर गणतंत्र दिवस के समारोह स्थल के लिए रवाना हुए थे और जब उनकी सवारी सलामी मंच तक पहुंची तब उन्हें 31 तोपों से सलामी दी गई। यह परंपरा 70 के दशक तक चली। इसके बाद गणतंत्र दिवस के मौके पर 21 तोपों की सलामी देने की परंपरा रखी गई और यह अभी तक जारी है।