पाचन को दुरुस्त करने के लिए अपनी डाइट में शामिल करें ये 5 फर्मेंटेड पेय
गर्मी में लोग ठंडक का अहसास पाने के लिए कई तरह के पेय पदार्थों का सेवन करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होते हैं। इसी कड़ी में अगर आप अपने पाचन स्वास्थ्य को दुरुस्त करना चाहते हैं तो अपनी डाइट में फर्मेंटेड पेय पदार्थों को शामिल करें। ये पेय आंत के बैक्टीरिया का स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, जो पाचन के लिए जरूरी होता है। अपने खान-पान में इन 5 फर्मेंटेड पेय को शामिल करें।
सेब का सिरका
ऐपल साइडर विनेगर यानि सेब के सिरके का सेवन स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। जब आप नियमित रूप से इस पेय का सेवन करते हैं तो यह आपके पेट में गए खाने को तोड़ने और आसानी से पचाने में मदद करता है। इसके साथ ही इसके सेवन से आप कब्ज और पेट में जलन जैसी परेशानियों को भी कम कर सकते हैं। सेब का सिरका पेट की चर्बी को भी कम कर सकता है।
कोम्बुचा
कोम्बुचा एक फर्मेंटेड चाय है, जिसे अच्छे बैक्टीरिया, खमीर, चीनी और चाय पत्ती से बनाया जाता है। इसे पीने से पाचन क्रिया मजबूत होती है और पेट अच्छी तरह साफ होता है। कोम्बुचा का सेवन आपको चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) और कब्ज से राहत दिला सकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के अनुसार, कोम्बुचा पेट के ऊतकों की रक्षा करता है और गैस की समस्या से भी निजात दिलाता है। कोम्बुचा से मिलने वाले अन्य फायदे।
लस्सी
दही बेहतर पाचन में सहायता करती है, दस्त को रोकती है और कब्ज को दूर करती है। आप इसके फायदों को पेय के रूप में हासिल करने के लिए इससे लस्सी बनाकर पी सकते हैं। लस्सी एक लोकप्रिय भारतीय फर्मेंटेड पेय है, जिसे खासकर उत्तर भारत में पीया जाता है। इस मलाईदार पेय को बनाने के लिए दही, पानी और चीनी को मिलाया जाता है। इसके सेवन से आपका पेट ठंडा रहता है और आसानी से साफ हो जाता है।
छाछ
गर्मियों में अगर आप आसानी से पचने वाला पेय तलाश रहे हैं तो छाछ पीएं। इस पेय में सही मात्रा में लैक्टिक एसिड और अच्छे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो पाचन में सहायक साबित होते हैं। जिन लोगों को दूध के उत्पाद पचाने में परेशानी होती है, वो भी इसे पीकर लैक्टोज इनटॉलरेंस को कम कर सकते हैं। यह पेट के कैंसर के खतरे को भी कम करता है। आप छाछ से ये 5 स्वादिष्ट रेसिपी बनाकर पी सकते हैं।
अचार का जूस
भारत समेत कई अन्य देशों में अचार बड़े शौक से खाया जाता है। पश्चिमी देशों में खीरे और मिर्च आदि का अचार बनाते वक्त उसमें अधिक सिरका इस्तेमाल किया जाता है, जिससे अचार के बर्तन में जूस जमा हो जाता है। इस जूस को पीने से भी पाचन स्वास्थ्य मजबूत होता है। अचार के जूस में प्रोबायोटिक होते हैं, जो अपने फर्मेंटेड माइक्रोफ्लोरा के माध्यम से आंत के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।