कोरोना वायरस: संक्रमण के बाद शरीर में तेजी से कम होती हैं एंटीबॉडीज- शोध
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद वायरस से बचाने वाले एंटीबॉडीज तेजी से कम होती हैं। एंटीबॉडीज इंसानी शरीर को बीमारियों से बचाने में अहम भूमिका निभाती हैं और ये वायरस को इंसानी कोशिकाओं में घुसने से रोकती हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि जून की तुलना में सितंबर में 26 प्रतिशत कम लोगों के शरीर में कोरोना वायरस से बचाने वाली एंटीबॉडीज पाई गईं थी।
तीन महीनों में देखी गई 26 फीसदी की गिरावट
शोधकर्ताओं ने कहा कि वायरस से बचाने वाली एंटीबॉडीज तेजी से कम हो रही हैं। इससे कई बार वायरस की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। अभी तक इंग्लैंड में 3.5 लाख लोगों का एंटीबॉडीज टेस्ट हो चुका है। जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में पहले चरण की टेस्टिंग के दौरान 1,000 में से 60 लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थीं। सितंबर में दूसरे चरण में 1,000 में केवल 44 लोगों में एंटीबॉडी पाई गई।
"तेजी से कम हो रही हैं एंटीबॉडीज"
शोध करने वाली टीम सदस्य प्रोफेसर हेलेन वार्ड ने बताया, "प्रतिरक्षा काफी तेजी से गायब हो रही है। पहले चरण के टेस्ट को तीन महीने ही हुए हैं और हम एंटीबॉडीज में 26 प्रतिशत की गिरावट देख रहे हैं।"
65 साल से अधिक उम्र के लोगों में तेजी से कम हुई एंटीबॉडीज
शोध में सामने आया कि युवाओं की तुलना में 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में एंटीबॉडीज तेजी से कम हो रही हैं। साथ ही उन लोगों में भी एंटीबॉडीज कम होने की दर ज्यादा है, जिनमें संक्रमित होने के बावजूद महामारी के लक्षण नजर नहीं आए। दूसरी तरफ स्वास्थ्यकर्मियों में एंटीबॉडीज की मात्रा तुलनात्मक रुप से अधिक रही। शोधकर्ता मानते हैं कि ऐसा उनके नियमित तौर से वायरस की चपेट में आने के कारण हो सकता है।
एंटीबॉडीज कोरोना वायरस से कैसे बचाव करती है?
एंटीबॉडीज कोरोना वायरस की सतह से चिपक जाती है और इसे कोशिका पर हमला करने से रोकती है। हालांकि, अभी तक यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुआ है कि एंटीबॉडीज में गिरावट आने से प्रतिरोधक क्षमता पर क्या असर पड़ेगा और क्योंकि टी-सेल्स समेत इम्युन सिस्टम के दूसरे भाग भी वायरस के खिलाफ सुरक्षा में मदद करते हैं। फिर भी यह कहा जा रहा है कि एंटीबॉडीज में कमी से वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा कमजोर होती है।
क्या कोई व्यक्ति बार-बार कोरोना से संक्रमित हो सकता है?
अभी तक ऐसे कुछ ही मामले सामने आए हैं, जिनमें कोई व्यक्ति दो बार कोरोना वायरस की चपेट में आया है। इसे लेकर शोधकर्ता कहते ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि एंटीबॉडीज अभी कम होना शुरू हुई हैं। दूसरी बार संक्रमण के लक्षण पहले की तुलना में हल्के रहेंगे। अगर एंटीबॉडीज कम भी हो जाती हैं तो भी ऐसा होगा क्योंकि शरीर 'इम्युन मैमोरी' विकसित कर लेता और वह जानता है कि उसे वायरस से कैसे लड़ना है।