30 साल की उम्र के बाद बढ़ जाता है आंखों की इन 5 समस्याओं का खतरा
क्या है खबर?
जब हम अपने जीवन के तीसरे दशक में प्रवेश करते हैं तो हमारी आंखों की सेहत पर विशेष ध्यान देना जरूरी हो जाता है। इस उम्र में कई लोग आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करने लगते हैं।
यह लेख आपको उन पांच प्रमुख आंखों की समस्याओं के बारे में जानकारी देगा, जिनसे आपको इस उम्र में सतर्क रहना चाहिए।
सही जानकारी और समय पर इलाज से आप अपनी दृष्टि को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं।
#1
धुंधला दिखना: नजर का कमजोर होना
धुंधला दिखना या नजर का कमजोर होना एक आम समस्या है, जो इस उम्र में शुरू होती है। इससे दूर या पास की चीजें देखने में कठिनाई हो सकती है।
इसके लिए नियमित आंखों की जांच करवाना जरूरी है ताकि सही चश्मे या लेंस का उपयोग किया जा सके।
कंप्यूटर स्क्रीन पर लंबे समय तक काम करने से बचें और हर 20 मिनट बाद अपनी नजर को आराम दें। इससे आंखों की थकान कम होगी और धुंधलापन घटेगा।
#2
मोतियाबिंद: दृष्टि पर असर डालने वाली बीमारी
मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख के लेंस पर धब्बे बनने लगते हैं, जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है।
यह समस्या आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन इसे जल्दी पहचानकर इलाज किया जा सकता है।
अगर आपको रात को गाड़ी चलाने में दिक्कत होती है या रोशनी के चारों ओर हल्के घेरे दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सर्जरी द्वारा मोतियाबिंद को हटाया जा सकता है।
#3
ड्राई आई सिंड्रोम: सूखी आंखें होना
ड्राई आई सिंड्रोम तब होता है जब आंखें पर्याप्त आंसू नहीं बना पाती है, जिससे वे सूखी महसूस करती हैं और जलन होती है।
यह समस्या कंप्यूटर स्क्रीन पर अधिक समय बिताने या प्रदूषण भरे माहौल में रहने से बढ़ सकती है।
इसे रोकने के लिए नियमित रूप से पलक झपकाएं और आंसुओं जैसी बूंदों का उपयोग करें, जो आपकी आंखों को नमी प्रदान करती हैं।
इसके अलावा हवा वाले स्थानों जैसे एसी कमरे आदि में बैठने से बचें।
#4
ग्लूकोमा: आंखों पर दबाव डालने वाली बीमारी
ग्लूकोमा एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है, जिससे ऑप्टिक नस क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और अंधापन भी हो सकता हैं।
इस बीमारी का कोई शुरुआती लक्षण नही हैं इसलिए नियमित रूप से आंखो कि जांच करवाना बहुत जरूरी है।
डॉक्टर द्वारा सुझाए गए आई ड्रॉप्स और दवाइयों क इस्तेमाल करके आप ग्लूकोमा के खतरा कम कर सकते हैं।
#5
मैक्युलर डिजनरेशन : रेटिना का खराब होना
मैक्युलर डिजनरेशन एक स्थिति है जिसमें रेटिना का केंद्र भाग खराब होने लगता है, जिससे सीधी देखी जाने वाली वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखतीं।
यह समस्या ज्यादातर बुजुर्गों में पाई जाती है, लेकिन आजकल युवाओं में भी दिख रही है।
संतुलित आहार लेना, धूम्रपान से बचना और सूर्य की किरणों से बचाव करना आदि इस रोग से सुरक्षा के उपाय हैं।
अगर पढ़ाई-लिखाई में परेशानी हो रही हो तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि सही उपचार मिल सके।