सामाजिक न्याय पर आधारित 5 किताबें, पढ़ सकते हैं सभी उम्र के लोग
सामाजिक न्याय एक ऐसा विषय है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है और इसे समझने के लिए किताबें एक शक्तिशाली माध्यम हो सकती हैं। यहां कुछ ऐसी हिंदी किताबें हैं, जो सामाजिक न्याय के मुद्दों पर प्रकाश डालती हैं। ये किताबें जातिगत भेदभाव, पर्यावरणीय समस्याएं, शिक्षा अधिकार और पारिवारिक संबंधों जैसे कई पहलुओं को उजागर करती हैं, जिससे बच्चे और युवा समानता और मानवाधिकारों की अहमियत को समझ सकते हैं।
मां (कांचा इलैया शेपर्ड)
कांचा इलैया शेपर्ड द्वारा लिखित 'मां' जातिगत अत्याचारों के खिलाफ एक महिला की लड़ाई की कहानी है। यह किताब एक युवा प्रोफेसर की यादों के माध्यम से उसकी मां की बहादुरी और सामाजिक न्याय की लड़ाई को दर्शाती है। यह 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए प्रेरक है, जो जाति प्रणाली और समानता की लड़ाई को समझना चाहते हैं। मां का संघर्ष और समाज में बदलाव लाने का प्रयास संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
गुलाब का नाम है (सागर कोलवणकर)
सागर कोलवणकर द्वारा लिखित 'गुलाब का नाम है' मैनुअल स्केवेंजर की बेटी गुलाब की कहानी बताती है। गुलाब को उसके पिता के काम के कारण 'स्टिंकी गुलाब' कहकर चिढ़ाया जाता है, लेकिन वह इस चुनौती का सामना करती है और एक मशीन बनाने का प्रोटोटाइप तैयार करती है, जो गटरों को साफ करने में मदद करेगी। यह किताब 5वीं-6वीं कक्षा के बच्चों के लिए जरूरी है, जो जाति और सामाजिक भेदभाव जैसे मुद्दों को समझने में मदद करती है।
द केस ऑफ द मिसिंग वाटर (शालिनी श्रीनिवासन)
शालिनी श्रीनिवासन द्वारा लिखित 'द मिसिंग वाटर' एक गांव में पानी की कमी की समस्या पर आधारित कहानी प्रस्तुत करती है। रंज और उसकी दोस्त सपना गांव में गायब हुए पानी को ढूंढने का फैसला करते हैं। यह किताब पर्यावरणीय सामाजिक न्याय और सामुदायिक समस्याओं के समाधान पर जागरूकता फैलाती है, जिससे बच्चे पर्यावरण संरक्षण एवं सामुदायिक सहयोग जैसे अहम मुद्दों से परिचित होते हैं। यह किताब 12 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों के लिए उपयुक्त है।
गुठली हैस विंग्स (कनक शशी)
यह किताब एक ऐसी लड़की गुथली की कहानी बताती है, जो अपने परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद स्कूल जाने का सपना देखती रहती है। यह शिक्षा अधिकार और लड़कियों के लिए समान अवसर प्राप्त करने के संघर्ष को दर्शाती है। इस प्रेरणादायक कहानी को पढ़ते हुए बच्चे शिक्षा के अहमियत और सामाजिक बराबरी के मूल सिद्धांतों को सीख सकते हैं, जिससे वे अपने जीवन में भी इन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा पा सकते हैं।
पॉप्स (बालाजी वेंकटरमन)
बालाजी वेंकटरमन द्वारा लिखित 'पॉप्स' ऐसे बच्चे की भावनाओं का चित्रण करता है, जिसके माता-पिता अलग हो चुके हैं। इसमें बताया गया है कि बच्चा अपने पिता के साथ रिश्ते को समझने और स्वीकार करने की कोशिश करता है। यह खासतौर पर उन बच्चों के लिए उपयुक्त है, जिनके माता-पिता अलग रह रहे हों ताकि वे समर्थन पा सकें और अपने अनुभवों को बेहतर तरीके से समझ सकें।