कोवैक्सिन को फिर नहीं मिली WHO से आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी, अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगा
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) ने एक बार फिर से भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी और उसने कंपनी से अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगे हैं।
कंपनी के जवाब दाखिल करने के बाद समूह 3 नवंबर को मुद्दे पर आखिरी बैठक करेगा और इसमें कोवैक्सिन को मंजूरी देने की सिफारिश करने पर फैसला लिया जाएगा।
TAG की सिफारिश के बाद ही WHO कोवैक्सिन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी देगा।
आवेदन
भारत बायोटेक ने मई में किया था आवेदन
बता दें कि भारत बायोटेक ने तीसरे चरण के ट्रायल के आधार पर मई में WHO के पास आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।
तब WHO की मुख्य वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने ट्रायल के डाटा को अच्छा बताते हुए इसे अगस्त तक मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई थी, हालांकि ऐसा नहीं हुआ।
फिर कहा गया कि इसे सितंबर तक मंजूरी मिल सकती है, लेकिन WHO के तकनीकी जानकारी मांगने से मंजूरी अटक गई।
एक और प्रयास
कल फिर हुई सलाहकार समूह की बैठक, लेकिन नहीं मिली मंजूरी
अब WHO के सलाहकार समूह ने कल एक बार फिर से कोवैक्सिन पर बैठक की, लेकिन इस बार भी बात नहीं बनी।
WHO ने अपने बयान में कहा, "आज TAG की बैठक हुई और उसने फैसला लिया कि वैश्विक उपयोग के लिए वैक्सीन के खतरों और फायदों की अंतिम समीक्षा करने के लिए उत्पादक से अतिरिक्त स्पष्टीकरण की जरूरत है। TAG को इस हफ्ते के अंत तक ये स्पष्टीकरण मिलने की उम्मीद है और 3 नवंबर को फिर बैठक होगी।"
परेशानी
मंजूरी के बिना विदेश यात्रा करने में असमर्थ हैं कई लोग
गौरतलब है कि भारत में कोवैक्सिन का उपयोग हो रहा है, लेकिन WHO से मंजूरी नहीं मिलने के कारण कई देश इसे मान्यता नहीं दे रहे हैं। ऐसे में इस वैक्सीन की खुराक लेने वाले अधिकतर लोग चाहकर भी विदेश यात्रा नहीं कर पा रहे हैं।
पिछले दिनों WHO के कार्यकारी निदेशक डॉ माइक रेयान ने कहा कि वैक्सीन की जांच में लंबा समय लग सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना जरुरी है कि वह सुरक्षित है।
पृष्ठभूमि
भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार की है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।
इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही वैक्सीन लगवाई है और इसका कुछ चुनिंदा देशों में भी इस्तेमाल हो रहा है।
ट्रायल
गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत प्रभावी है कोवैक्सिन
भारत बायोटेक ने 3 जुलाई को वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के परिणाम जारी किए थे।
इसमें कहा गया था कि कोवैक्सिन महामारी के गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत, हल्के और मध्यम लक्षणों के खिलाफ 78 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत और बिना लक्षणों वाले मरीजों पर 63 प्रतिशत प्रभावी है।
कंपनी ने देशभर के 25 अस्पतालों में 18-98 साल के 25,800 वॉलेंटियर्स पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किया था।