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    क्या है 'मिशन मौसम'? जरूरत के हिसाब से कम-ज्यादा की जा सकेगी बारिश, ये हैं फायदे
    केंद्र सरकार ने 'मिशन मौसम' शुरू करने का ऐलान किया है

    क्या है 'मिशन मौसम'? जरूरत के हिसाब से कम-ज्यादा की जा सकेगी बारिश, ये हैं फायदे

    लेखन आबिद खान
    Sep 13, 2024
    07:55 pm

    क्या है खबर?

    देश के कई राज्यों में फिलहाल भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित है।

    खासतौर से बारिश में भूस्खलन, बिजली गिरना, हिमस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाती हैं। इससे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है।

    इसी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 'मिशन मौसम' शुरू करने का फैसला किया है। 2,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस महत्वाकांत्री योजना को मंत्रिमंडल ने भी मंजूरी दे दी है।

    आइए इसके बारे में जानते हैं।

    मिशन मौसम

    क्या है 'मिशन मौसम'?

    इस मिशन का उद्देश्य मौसम और जलवायु से संबंधित विज्ञान,अनुसंधान और सेवाओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाना है।

    सरकार ने कहा है कि इसके तहत उन्नत अवलोकन प्रणाली, उच्च दक्षता की कम्प्यूटिंग प्रणाली, अत्याधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों को एकीकृत किया जाएगा, ताकि सटीक मौसम पूर्वानुमानों का पता लगाया जा सके।

    आसान भाषा में कहें तो सरकार मौसम विभाग (IMD) को उन्नत कर रही है, ताकि मौसम की सटीक भविष्यवाणियां की जा सकें।

    खास बातें

    क्या है मिशन की खास बातें?

    मिशन मौसम से कृषि, आपदा राहत प्रणाली, सुरक्षा, विमानन प्रणाली, ऊर्जा, जल संसाधन और पर्यटन समेत कई क्षेत्रों को होगा।

    इससे शहरी नियोजन, यातायात और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में फैसला लेने की क्षमता में सुधार आएगा।

    मौसमी बदलाव से जुड़ी सूचनाएं जल्द से जल्द भेजी जा सकेंगी।

    मानसून से लेकर हवा की गुणवत्ता, चक्रवात, कोहरे, ओलावृष्टि और बारिश की घटनाओं के लिए समय से पहले जानकारी प्राप्त हो पाएगी।

    बारिश

    क्या मनमाफिक रोकी जा सकेगी बारिश? 

    एक अखबार से बात करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा, "आगामी 5 सालों में हम बाढ़ के दौरान बारिश/ओलावृष्टि को रोक सकते हैं। हम पहले कृत्रिम बारिश के रोकने और बढ़ाने पर परीक्षण करेंगे। अगले 18 महीनों तक प्रयोगशाला में क्लाउड चैंबर्स बनाकर उनके अंदर प्रयोग किए जाएंगे। हालांकि, हम निश्चित रूप से अगले 5 साल में कृत्रिम तरीके से मौसम में बदलाव करने में सक्षम होंगे।"

    काम

    कैसे काम करेगा मिशन?

    मिशन को 2 चरणों में पूरा किया जाएगा।

    मार्च, 2026 तक चलने वाले पहले चरण में अवलोकन नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा। इसमें लगभग 70 डॉप्लर रडार, उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर, 10 विंड प्रोफाइलर और 10 रेडियोमीटर लगाना शामिल है।

    अवलोकन प्रणाली सिमुलेशन प्रयोग (OSSE) भी आयोजित किए जाएंगे।

    इसके बाद दूसरे चरण में अवलोकन क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए उपग्रहों और विमानों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

    फायदे

    ये होंगे फायदे

    देश में हर साल चक्रवात, बाढ़, सूखा और हीटवेव के चलते करीब 10,000 लोगों की मौत हो जाती है।'मिशन मौसम' के जरिए मौसम की सटीक भविष्यवाणी से इनमें से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।

    वैज्ञानिक मौसम GPT भी बना रहे हैं। यह चैट GPT जैसा होगा। इस पर मौसम संबंधी जानकारी बहुत तेजी से मिलेगी।

    यह लिखित के साथ-साथ ऑडियो फॉर्मेट में भी होगी। कृषि और आपदा प्रबंधन में इसका सबसे बड़ा लाभ होगा।

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